रासायनिक अथवा जैविक कृषि नहीं, अपितु प्राकृतिक कृषि अपनाइए ! (भाग २)

विश्व में इस प्रकार से ४ – ५ दिनों में तैयार होनेवाला दूसरा खाद नहीं ! देसी गाय के एक दिन के गोबर और मूत्र से १ एकड खेती के लिए जीवामृत तैयार होता है । जब इसका खेत के जीवाणुओं से संयोग होता है, तब वे जामन का काम करते हैं ।

महायुद्ध, भूकंप इत्यादि आपत्तियाें का प्रत्यक्ष रूप से सामना कैसे करें ? (भाग ८)

भूस्खलन होने के कारण, उसकी विभीषिका, भूस्खलन का संकट टालने हेतु कुछ प्रतिबंधात्मक समाधान, भूस्खलन होने से पूर्व मिलनेवाली कुछ सूचना, भूस्खलन होते समय तथा होने के पश्चात क्या करना चाहिए आदि विषयों की जानकारी दी गई है ।

विश्वयुद्ध, भूकंप इत्यादि आपदाओं का प्रत्यक्षरूप से सामना कैसे करें ? (भाग ७)

अन्य समय पर देश में ठंड के मौसम में शीतलहर आती है । हिमालय में तो तापमान शून्य के नीचे ४० डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है । आज के आपातकाल में शीतलहर आने की संभावना को भी टाला नहीं किया जा सकता । इस लेख में भारत में शीतलहर आने पर सामान्यतः क्या उपाय किए जा सकते हैं, इसकी जानकारी दी गई है ।

विश्‍वयुद्ध, भूकंप इत्‍यादि आपदाओं का प्रत्‍यक्षरूप से सामना कैसे करें ? (भाग ६)

भारत में लू लगने से सैकडों लोगों की मृत्‍यु होती है । गर्मी की लहर और लू क्‍या होती हैं ? गर्मी की लहर से होनेवाले परिणाम, उसके कारण होनेवाली बीमारियां, नए घर का निर्माण करते समय गर्मी से रक्षा होने हेतु क्‍या करना चाहिए ? भविष्‍य में विविध कारणों से गर्मी की लहर आने पर कौन से उपाय करने चाहिए ?, इस लेख में इसकी जानकारी देने का प्रयास किया गया है ।

बच्चे के विकास के लिए मां का दूध ही आदर्श अन्न !

मनुष्य सबसे बुद्धिमान प्राणि है । पहले ५ महिनों में मां का दूध शिशु का मुख्य अन्न होता है । तब मस्तिष्क का विकास सबसे अधिक होता है; इसलिए मां के दूध में ऐसे घटक होते हैं कि जिससे वह दूध मस्तिष्क के विकास हेतु उत्कृष्ट अन्न प्रमाणित होता है ।

सहजन, जोडों में वेदना एवं भारतीय खेती

भारतीय नागरिक कैल्शियम बढाने के लिए गोलियां खाते हैं; परंतु कैल्शियम से भरपूर सहजन की फलियां खाने के प्रति उदासीनता दिखाते हैं !

युद्धकाल में उपयोगी और आपातकाल से बचानेवाली ये कृतियां अभी से करें !

‘रूस-युक्रेन युद्ध आरंभ हो गया है । युक्रेन की जनता ‘युद्ध की आंच में झुलसना क्‍या होता है ?’, इसे कैसे अनुभव कर रही है, यह प्रतिदिन आनेवाले समाचारों से हमें ज्ञात हो ही रहा है । आगे इस युद्ध में यदि अन्‍य देश भी सम्‍मिलित हो गए, तो तीसरा महायुद्ध आरंभ होने में अधिक …

रासायनिक अथवा जैविक कृषि नहीं, अपितु प्राकृतिक कृषि अपनाइए ! (भाग १)

रासायनिक कृषि स्वास्थ्य के लिए कितनी हानिकारक है, यह इस लेख से समझ में आता है । मंडी में बिकनेवाली सब्जियों पर विषैले रसायनों की फुहार किए जाने से अब प्रत्येक व्यक्ति को अपने लिए आवश्यक सब्जियों की स्वयं ही उपज करना आवश्यक बन गया है ।

कृषि उत्पादों में स्थित रासायनिक अंश : नित्य आहार में समावेशित विष !

रसोई के लिए जो सब्जियां, अनाज, दालें, तेल, नमक इत्यादि का उपयोग किया जाता है, उनमें भी मानवीय स्वास्थ्य के लिए हानिकारक घटक हो सकते हैं, यहांतक विष के अंश भी हो सकते हैं; परंतु उस विषय में कोई बोलता दिखाई नहीं देता ।

आच्छादन : ‘सुभाष पाळेकर प्राकृतिक कृषि तंत्र’ का एक प्रमुख स्तंभ !

आच्छादन, वाफसा, जीवामृत एवं बीजामृत, ये ‘सुभाष पाळेकर प्राकृतिक कृषि तंत्र’ के मूल तत्त्व हैं । इस लेख में ‘आच्छादन का अर्थ क्या है ?’, इसके साथ ही उसका महत्त्व एवं लाभ समझ लेंगे ।