विश्वयुद्ध, भूकंप इत्यादि विपत्तियों का प्रत्यक्ष सामना कैसे करें ? (भाग १)
अणुबम अर्थात क्या ?, उसकी तीव्रता कैसी होती है ?, उसका परिणाम और उससे बचने का प्रयास कैसे करें ?, इसकी जानकारी आज के लेख में दे रहे हैं ।
अणुबम अर्थात क्या ?, उसकी तीव्रता कैसी होती है ?, उसका परिणाम और उससे बचने का प्रयास कैसे करें ?, इसकी जानकारी आज के लेख में दे रहे हैं ।
‘प्राथमिक उपचार’ का साधारण अर्थ है, रोगी को चिकित्सकीय उपचार मिलने तक उस पर किए जानेवाले आरंभिक उपचार ! यह लेख पढकर तथा ‘प्राथमिक उपचार प्रशिक्षण’ लेकर प्रत्येक जागरुक नागरिक उत्तम प्राथमिक उपचारकर्ता बने, यही ईश्वर के चरणों में प्रार्थना है !
बहते पानी में पैदल चलते न जाएं । पानी में जाना आवश्यक हो, तो जहां बहता पानी नहीं है, ऐसे स्थान से पैदल चलें । जहां हम कदम रखनेवाले हैं, वहां की भूमि मजबूत होने की आश्वस्तता करने हेतु लाठी का उपयोग करें ।
वर्ष २०१९ में महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्यों के कुछ शहरों में भीषण बाढ आने पर योग्य कृत्य करने का ज्ञान न होने के कारण अनेक नागरिक भ्रमित हो गए थे । ऐसे अवसर पर नागरिकों द्वारा अयोग्य कृत्य करने अथवा निर्णय लिए जाने की संभावना होती है ।
‘बाढपीडित क्षेत्र के नागरिकों को किस प्रकार से पूर्व तैयारी करनी चाहिए ?’, इस संदर्भ के मार्गदर्शक सूत्र आगे दिए हैं ।
बाढ में परिवहन ठप रहता है । इसलिए उस काल में सब्जियां, दूध और भोजन उपलब्ध नहीं होते । अतएव, उनका पहले से संग्रह करना आवश्यक है ।
वर्ष २०१९ में महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्यों के अनेक नगर अतिवृष्टि के कारण जलमग्न हो गए थे । कई गांवों को जोडनेवाली सडकों में दरार आ जाने से यातायात ठप्प हो गयी थी ।
खुले आकाश के नीचे (उदा. मैदान, समुद्रतट आदि), साथ ही बिजली के खंभे, मोबाईल टॉवर, दलदलवाले स्थान, पानी की टंकी, टीन का शेड आदि स्थानों पर न रुकें ।
आज विज्ञान ने भले ही सभी क्षेत्रों में प्रगति कर ली हो; परंतु चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदा को रोकना मनुष्यशक्ति के परे है । ऐसे समय में स्थिर रहकर मनोबल टिकाए रखना ही हमारे हाथ में होता है ।
‘तुफानी चक्रवात, भूस्खलन, भूकंप, बाढ, तीसरा महायुद्ध आदि संकटकालीन स्थिति किसी भी क्षण उत्पन्न हो सकती है । ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए ?, इसका ज्ञान न होने से सर्वसामान्य व्यक्ति चकरा जाता है और उसका मनोबल भी गिर जाता है ।