कुछ अटल चूकें और उनके लिए विविध प्रायश्चित
अधिकांशत: सदैव होनेवाली भूल के लिए प्रायश्चित कर्म है नित्यनैमित्तिक कर्म अर्थात दैनिक पूजा-अर्चना, स्नान-संध्या, व्रत इत्यादि । (इन कर्मों के सन्दर्भ में विस्तृत विवरण सनातन के ग्रंथ कर्म का महत्त्व, विशेषताएं व प्रकार में दिया है ।