हिन्दू राष्ट्र-स्थापना हेतु ‘आपातकाल के पूर्व ग्रंथों के माध्यम से अधिकाधिक धर्मप्रसार हो’, यह सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी का संकल्प कार्यरत होने के कारण इस कार्य में उत्कंठापूर्वक सम्मिलित होनेवालों पर उनकी अपार कृपा होगी
ज्ञानशक्ति के माध्यम से कार्य होने का सर्वाधिक प्रभावी माध्यम है ‘ग्रंथ’ ! संक्षेप में ‘ग्रंथों के माध्यम से धर्मप्रसार करना’, वर्तमान काल की श्रेष्ठ साधना है । इसीलिए ‘आपातकाल के पूर्व ग्रंथों के माध्यम से अधिकाधिक धर्मप्रसार हो’, यह सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी की तीव्र उत्कंठा है ।