‘कोरोना महामारी के इस कठिन काल में समाज के लोगों को प्रेम से आधार देना’,समष्टि साधना ही है !
कुटुंब के सदस्य अथवा सगे-संबंधियों को कोरोना होने की बात सुनकर कुटुंब के अन्य सदस्यों को चिंता होने लगती है । ऐसे समय में रोगी को प्रेम से आधार देने की आवश्यकता होती है । उसे कहना चाहिए ‘तुम अवश्य ठीक हो जाओगे । भगवान तुम्हारे साथ हैं । तुम भगवान का नाम लो । कुछ भी सहायता लगेगी, तो मैं करूंगा ।’ ऐसा प्रेमपूर्वक आधार देने की नितांत आवश्यकता है’, ऐसा ध्यान में आया है ।