हिन्दुत्वनिष्ठ वैभव राऊत की गिरफ्तारी है ‘मालेगांव पार्ट 2’ !
श्री. वैभव राऊत एक साहसी गोरक्षक हैं और वे गोरक्षा करनेवाले संगठन हिन्दू गोवंश रक्षा समिति के माध्यम से सक्रिय थे ।
श्री. वैभव राऊत एक साहसी गोरक्षक हैं और वे गोरक्षा करनेवाले संगठन हिन्दू गोवंश रक्षा समिति के माध्यम से सक्रिय थे ।
कुछ नररत्न जैसे परमेश्वर का अवतारकार्य पूरा करने के लिए ही पृथ्वीपर जन्म लेते हैं ! सहस्रों वर्षों के कालपटलपर अपनी मुद्रा अंकित करनेवाले अवतारी सत्पुरुष परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी उन्हीं में से एक हैं !
वाराणसी के साधक वेदप्रकाश गुप्ता ने प्राप्त किया ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर | उस समय सनातन के संत पू. नीलेश सिंगबाळ के हाथों श्री. गुप्ता का श्रीकृष्ण की प्रतिमा देकर आदर किया गया ।
आषाढ पूर्णिमा को (२७.७.२०१८) चंद्रग्रहण है । यह ग्रहण भारत में सर्वत्र ‘खग्रास’ दिखाई देनेवाला है । ग्रहण २७.७.२०१८ की रात्रि ११.५४ से ३.४९ तक है । ग्रहणकाल में की गई साधना का फल सहस्रों गुना अधिक प्रमाण में मिलता है ।
वैशाख कृष्ण पक्ष सप्तमी अर्थात ७ मई २०१८ को परात्पर गुुरु डॉ. जयंत आठवलेजी का ७६वां जन्मोत्सव समारोह संपन्न हुआ । परात्पर गुुरु डॉ. आठवलेजी की जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में रामनाथी (गोवा) के सनातन के आश्रम में विविध यज्ञ संपन्न हुए ।
ब्रह्मांडनायक, ज्ञानगुुरु, राष्ट्रगुुरु तथा मोक्षगुुरु तथा अनेक जीवों का उद्धार करनेवाले परात्पर गुुरु डॉ. जयंत आठवलेजी का ७६वां जन्मोत्सव पृथ्वी के वैकुंठलोक में अर्थात सनातन के रामनाथी के आश्रम में संपन्न हुआ ।
वैशाख कृष्ण सप्तमी अर्थात ७ मई २०१८ को परात्पर गुुरु डॉ. जयंत आठवलेजी का ७६वां जन्मोत्सव था । इसके उपलक्ष्य में ६ मई को रामनाथी (गोवा) के सनातन के आश्रम में अघोरास्त्र यज्ञ, संधिशांति तथा साम्राज्यलक्ष्मी यज्ञ चैतन्यमय तथा भावपूर्ण वातावरण में संपन्न हुए ।
शाख कृष्ण सप्तमी अर्थात ७ मई २०१८ को परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी का ७६वां जन्मोत्सव था । इस उपलक्ष्य में ५ मई को रामनाथी (गोवा) के सनातन के आश्रम में महर्षिजी के निर्देश के अनुसार उग्रप्रत्यंगिरा यज्ञ चैतन्यदायक वातावरण में संपन्न हुआ ।
राष्ट्ररक्षा एवं धर्मजागृति के लिए सिद्ध रहकर प्रभावी रूप से कार्य करनेवाली सनातन संस्था एकमात्र संगठन है । विभिन्न स्थानों पर संस्था के आश्रम तथा सेवाकेंद्र हैं । वहां सैंकडो साधक पूरा समय रहकर धर्मप्रसार की साधना कर रहे हैं । राष्ट्र एवं धर्म कार्य हेतु अधिक समय देनेवाले साधक, धर्मप्रेमियों की संख्या प्रतिदिन बढती जा रही है ।
ईश्वरप्राप्ती के लिए साधना करते समय तन, मन तथा धन का त्याग करना आवश्यक है । हमें तन एवं मन का त्याग करना सहज रहता है; किन्तु धन का त्याग करना कठीन है । शांति धन से नहीं, तो धन के त्याग से प्राप्त होती है।