सनातन संस्था का कार्य उत्कृष्ट है ! – श्री रमेशगिरी महाराज, जनार्दन आश्रम, कोपरगांव (महाराष्ट्र)

‘इस प्रदर्शनी के अवलोकन के पश्;चात यह ध्यान में आता है कि सनातन संस्था का कार्य उत्कृष्ट है । मैं यह अपेक्षा करता हूं कि इस प्रदर्शनी के माध्यम से हिन्दू समाज में जागृति आएगी’, ऐसा प्रतिपादित कोपरगाव (महाराष्ट्र) के जनार्दन आश्रम के श्री रमेशगिरी महाराज ने किया ।

प्रयागराज के कुंभमेले में सनातन संस्था की ओर से साधू-संतों का स्वागत : साधुओ द्वारा सनातन का जयघोष !

सनातन के साधकों द्वारा ‘जयतु जयतु हिन्दुराष्ट्रम ।’, ‘हर हर महादेव’, ‘जय जय श्रीराम’ ऐसा जयघोष किया गया । अनेक साधुओ ने भी ‘सनातन की जय’, ‘सनातन धर्म की जय’, ऐसा जयघोष किया ।

प्रयागराज कुंभमेले के माध्यम से ‘सनातन संस्था’ का व्यापक धर्मप्रचार !

कुंभक्षेत्र की सीमा २५ किमी. है । इसके हृदयस्थान संगमक्षेत्र के समीप स्थित मोरी मार्ग के पास ‘सनातन संस्था’ को स्थान मिलना, केवल गुरुकृपा थी । कुंभक्षेत्र में आनेवाले श्रद्धालुओं में ३० प्रतिशत लोगों को इस क्षेत्र से जाना पडता है ।

कुंभपर्व की तिसरी गंगा ‘सरस्वती नदी’ सनातन की ग्रंथप्रदर्शनी के रूप में बह रही है ! – श्री प्रभु नारायण करपात्री

संत श्री. प्रभु नारायण करपात्री ने कहा, ईशान्य भारत के मिजोरम, मेघालय, असम, त्रिपुरा और मणिपुर में लाखों हिन्दुओं ने धर्मांतरण कर ईसाई पंथ को अपनाया है । वहां हिन्दुओं को पैसों के लालच देकर धर्मांतरित किया गया है ।

कुंभपर्व मे सनातन की धर्मशिक्षा एवं राष्ट्र-धर्मरक्षा से संबंधित फलक प्रदर्शनी का जिज्ञासु, साधु-संत-महंतों द्वारा उत्स्फूर्त प्रत्युत्तर !

मुझे सनातन की ग्रंथप्रदर्शनी बहुत अच्छी लगी । इस प्रदर्शनी को देखकर हम निशब्द हो गए हैं । संपूर्ण कुंभपर्व में ऐसा धर्मज्ञान कहां होगा, ऐसा हमें नहीं लगता ।

विदेशी नागरिकों के लिए श्रद्धा और आकर्षण का केंद्र बना कुंभपर्व !

कुंभपर्व केवल हिन्दुओं के लिए ही नहीं, अपितु विदेशी नागरिकों के लिए भी श्रद्धा का परमोच्च शिखर है । अखिल मनुष्यजाति का उद्धार करनेवाले इस कुंभपर्व में सहभागी होना सौभाग्य है !

सनातन के साधकों के संतसेवा में लीन होने से उनके मुखमंडलपर संतसंगती का आनंद झलकता है ! – श्री श्री १००८ श्री महामंडलेश्‍वर महंत रघुवीरदास महात्यागी महाराज

सनातन के सभी साधकों की ओर देखकर बहुत प्रसन्न लगता है । उसके कारण यह है कि वे संतसेवा में लीन हैं; इसलिए संतसंगती का आनंद उनके मुखपर झलकता है ।

ऐसी है अस्थाई भव्य कुंभनगरी !

भव्यता के कारण संयुक्त राष्ट्रों के ‘युनेस्को’ की आंखें भी चमक गई हैं । युनेस्को ने ‘विश्‍व का सबसे बडा शांतिपूर्ण एवं धार्मिक सम्मेलन’ कहकर ‘मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर’, के रूप में कुंभ को स्वीकृती दी है ।

कुंभपर्व में ओडिशा के ‘क्रिया योग आश्रम’ की नामजप फेरी का सनातन संस्था द्वारा स्वागत !

ओडिशा के क्रिया योग आश्रम की नामजप फेरी का सनातन संस्था की प्रदर्शनीस्थल के सामने आगमन हुआ ।

सिंहस्थ कुंभ में सनातन के प्रदर्शनी को मिला संत, मान्यवरों एवं समाज से उत्तम प्रतिसाद !

दिशा दूरचित्रवाहिनी द्वारा सनातन संस्था व हिन्दू जनजागृति समिति की प्रदर्शनी का चित्रीकरण एवं पूज्य डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी की भेंटवार्ता !