भावभक्ति की अनुभूति करानेवाली पंढरपुर की यात्रा (वारी)
व्यक्तिगत जीवन के अभिनिवेष बाजू में रखकर ईश्वर के नामस्मरण में देहभान भूलानेवाला एक आध्यात्मिक समारोह है पंढरपुर की पैदल यात्रा (वारी) !
व्यक्तिगत जीवन के अभिनिवेष बाजू में रखकर ईश्वर के नामस्मरण में देहभान भूलानेवाला एक आध्यात्मिक समारोह है पंढरपुर की पैदल यात्रा (वारी) !
किसान-समाजमें इस उत्सवका अत्यधिक महत्त्व है । बुआई हो जानेपर खेतीके कामोंसे बैल खाली हो जाते हैं, तब उन्हें रगडकर नहलाया जाता है, उनकी आरती उतारी जाती है एवं नैवेद्य दिखानेके पश्चात दोपहरमें उन्हें रंगकर एवं सजाकर गांवमें जुलूस निकाला जाता है ।
टैटू के कारण घातक संक्रमरकारी रोग फैलते हैं । दूसरों की अपेक्षा अलग दिखने तथा सुंदरता बढाने हेतु शरीरपर टैटू गोद लेने का अर्थ स्शवयं में विद्यमान अहं का पोषण करना है ।
अभिभावकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने हेतु क्या विदेशी पृष्ठभूमिवाले डेज की आवश्यकता है ? ऐसे एक दिवसीय प्रेम व्यक्त कर क्या हाथ लगेगा ? कितने बच्चे अपने अभिभावकों को प्रतिदिन झुककर नमस्कार करते हैं ?
आज के अधिकांश युवकों के सामने करियर छोडकर अन्य कोई विशिष्ट लक्ष्य और आदर्श नहीं है ।
मनुष्य जीवन में समय के जितनी अन्य कोई भी बात महत्त्वपूर्ण है । अंग्रेजी में ‘टाईम इज मनी’ एक कहावत है अर्थात ‘समय ही संपत्ति है ।’
आज की इस भागदौडभरे जीवन में लोगों की जीवनशैली बहुत बिगड चुकी है । लोग सुबह देरतक सोए रहते हैं और देररात सोते हैं ।
दीपकों की संख्या १३ मानकर, पूजा की जाती है । इस दिन यमदेवता द्वारा प्रक्षेपित लहरें ठीक १३ पल नरक में निवास करती हैं । इसका प्रतीक मानकर यमदेवता को आवाहन करते हुए १३ दीपकों की पूजा कर, उन्हें यमदेवता को अर्पण किया जाता है ।
आहार से संबंधित धर्मशास्त्र द्वारा बताए नियमों का पालन न करने से जो हानि होती है, उससे भी अधिक हानि आधुनिक आहारपद्धति को अपनाने से हो रही है ।
केवल जीभ की रुचि-अरुचि की पूर्ति करना तथा रसों के स्वाद में फंसना, विदेशी संस्कृति है । यह संस्कृति शील भ्रष्ट करती है । आहार यदि तमोगुणी हो, तो तमोगुणी विचारों की उत्पत्ति से मन एवं बुद्धि का संतुलन बिगडता है तथा जीव नीतिविहीन बनता है ।