अन्न एवं रोग में परस्पर संबंध, साथ ही पाचनशक्ति के संदर्भ में महत्त्वपूर्ण विवेचन
आदिमानव प्रकृति में मिलनेवाले कंदमूल, फल एवं पशुओं की शिकार कर उसका मांस खाता था । प्रकृति में विद्यमान स्वच्छ हवा और ताजा बनाए गए अन्न के कारण वह निरोगी था ।
आदिमानव प्रकृति में मिलनेवाले कंदमूल, फल एवं पशुओं की शिकार कर उसका मांस खाता था । प्रकृति में विद्यमान स्वच्छ हवा और ताजा बनाए गए अन्न के कारण वह निरोगी था ।
‘विमोचन’ अर्थात देवता के कृपाशीर्वाद से उस विशिष्ट घटक में व्याप्त प्रकाश के निर्मितिस्रोत को दिशा अथवा मार्ग दिखाकर उसे समष्टि के लिए कार्यरत करना ।
जो गुरुपदपर आसीन हो और जिसका अहं अल्प हो वह जीव ईश्वर को भी परमप्रिय होता है । ऐसा जीव ही संपूर्ण मानवजाति की दृष्टि से सम्माननीय होता है ।
सत्कारमूर्तियों को चंदन का तिलक, कुमकुम-तिलक अथवा हलदी-कुमकुम (स्त्री हो तो हलदी-कुमकुम) लगाएं । चंदन का तिलक / कुमकुम-तिलक लगाने के लिए एक छोटी कटोरी में चंदन पाउडर अथवा कुमकुम थोडासा गीला करके रखें, तथा सत्कारमूर्तियों में स्त्री हो, तो हलदी-कुमकुम की कटोरियां रखें ।
ऋषि अथवा मुनि कहनेपर हमारे हाथ अपनेआप जुड जाते हैं और मस्तक सम्मान से झुक जाता है । इस भरतखण्ड में कई ऋषियों ने विविध योगमार्गों के अनुसार साधना कर भारत को तपोभूमि बनाया है ।
REST IN PEACE का अर्थ ‘शांति से लेटिए !’ ‘हे मृतात्मा, हमने तुम्हारे शरीर को भूमि में दफनाया है । अब कयामत के दिन उपरवाला तुम्हारे साथ न्याय करेगा; इसलिए अब तुम इस भूमि में शांति से लेटकर कयामत के दिन की प्रतिक्षा करो !’’
हिन्दू इस त्योहार के प्रति लोगों में जागृति लाकर आज इस त्योहार को जो विकृत स्वरूप प्राप्त हुआ है, उसे रोकने हेतु प्रयास करें । हिन्दुओं को इस माध्यम से हमारे त्योहार और संस्कृति का सम्मान करने हेतु संगठित होना चाहिए ।
आषाढ मास में दीपयज्ञ करने की परंपरा है ।
नित्य उपासना में भाव अथवा सगुण तत्वकी, तथापि गणेशाेत्सव में आनंद अथवा निर्गुण तत्त्वकी रंगोलियां बनाएं ।
इस दिन शेषशय्यापर विराजमान श्रीवत्स चिन्हांकि, ४ भुजाओं से युक्त एवं लक्ष्मीजीसहित विराजमान श्री नारायणजी का पूजन किया जाता है ।