रामनवमी पूजाविधि
प्रभु श्रीराम का जन्म माध्यान्हकाल अर्थात दो. १२ बजे मनाया जाता है । प्रभु श्रीराम की मूर्ति की अथवा प्रतिमा, हमें जो भी संभव हो, उसका पंचोपचार अथवा षोडशोपचार पूजन करें ।
प्रभु श्रीराम का जन्म माध्यान्हकाल अर्थात दो. १२ बजे मनाया जाता है । प्रभु श्रीराम की मूर्ति की अथवा प्रतिमा, हमें जो भी संभव हो, उसका पंचोपचार अथवा षोडशोपचार पूजन करें ।
छत्रपति संभाजी महाराज का बलिदानदिन और हिन्दू नववर्षारंभ दिन चैत्रप्रतिपदा एक-दूसरे से लगकर आते हैं । वर्ष २०१३ में महाराष्ट्र राज्य के खानदेश और मराठवाडा में कुछ जातिवादियों ने कहा कि चैत्रप्रतिपदा के दिन गुढी (बांस अथवा लाठी पर उलटा टांगा गया कलश) खडी करने से छत्रपति संभाजी का अपमान होता है । इसलिए, उन्होंने वहां के हिन्दुओं को ऐसा नहीं करने दिया और जिन्होंने गुढी खडी की थी, उसे नीचे खींच दिया ।
ब्राह्ममुहूर्त यह सवेरे ३.४५ से ५.३० तक ऐसे दो घंटों का होता है । इसे रात्रि का ‘चौथा प्रहर’ अथवा ‘उत्तररात्रि’ भी कहते हैं । इस काल में अनेक बातें ऐसी होती रहती हैं कि जो दिनभर के काम के लिए लगनेवाली ऊर्जा करती हैं । इस मुहूर्त पर उठने से हमें एक ही समय पर ९ लाभ मिलते हैं ।
अधिकांश हिन्दू स्त्रियां एवं कुछ पुरुष माथे पर कुमकुम अथवा गंध लगाते हैं । उनकी लगाने की पद्धति प्रांत अथवा संप्रदाय अनुसार भिन्न होती है । स्त्रियों एवं पुरुषों का माथे पर कुमकुम अथवा गंध लगाने का आध्यात्मिक महत्त्व आगे दिएनुसार है ।
‘भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी को श्रीगणेश का आगमन होगा’, इस संकल्पना पर श्रीगणेश का चित्रयुक्त पारपत्र (पासपोर्ट) सामाजिक माध्यमों पर प्रसारित कर श्रीगणेश का अवमान किया गया । इस पारपत्र पर भाग्यनगर (हैद्राबाद) पारपत्र कार्यालय की मोहर एवं पारपत्र प्रदान अधिकारी पी. कृष्णा चार्या का नाम एवं हस्ताक्षर हैं । यह पारपत्र विनोद के रूप में सामाजिक माध्यमों पर प्रसारित किया गया है ।
अनुक्रमणिका१. नागपंचमीतिथिइतिहासनागकी महिमापूजनभावार्थनिषेध२. श्रावण पूर्णिमा (नारियल पूर्णिमा)समुद्रपूजन३. रक्षा (राखी) बंधनइतिहासभावनिक महत्त्वराखी बांधनाप्रार्थना करनाराखी के माध्यम से होनेवाला देवताओं का अनादर रोकिए !४. श्रावणी (उपकर्म एवं उपाकरण)तिथिमहत्त्वविधि करने की पद्धति५. श्रावणी सोमवार एवं शिवमुष्टिव्रतश्रावणी सोमवार (शंकर व्रत)शिवमुष्टिव्रत६. मंगलागौरी७. जरा-जीवंतिका पूजन८. हरियाली (पिठोरी अमावस्या, दीपपूजा)विधि९. हरितालिकातिथिइतिहास एवं उद्देश्यव्रत करने की पद्धति १. नागपंचमी तिथि श्रावण शुक्ल पक्ष … Read more
कुछ व्यक्तियों के लिए देश, काल, अग्नि, प्रकृति, दोष, आयु इत्यादि का विचार करने पर कुछ अन्नपदार्थ हानिकारक सिद्ध होते हैं । ऐसे खाद्य पदार्थ विपरीत आहार में समाविष्ट होते हैं ।
‘संपूर्ण देश में महाशिवरात्रि बडे उत्साह से मनाई जाती है । फाल्गुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को शिवजी का व्रत महाशिवरात्रि करते हैं । (इस वर्ष ११ मार्च २०२१ को महाशिवरात्रि है ।) उपवास, पूजा और जागरण महाशिवरात्रि व्रत के ३ अंग हैं ।
हमारे तीर्थक्षेत्र अथवा नदियों के कुंड अथवा देवालय में दिया जानेवाला तीर्थ अथवा भोजन से पूर्व पानी से ५ बार ली जानेवाली अपोष्णी आदि सब कुछ हिन्दू संस्कृति ने प्राचीन काल से पानी की असीमित और जीवित शक्ति के अध्ययन से ही हम तक पानी का महत्त्व और लाभ पहुंचाने के लिए तैयार किए हैं ।
शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम् । अर्थात, धर्माचरण के लिए (साधना करने के लिए) शरीर का स्वस्थ रहना अत्यंत आवश्यक है ।