श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पूजाविधि

भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करना श्रावण कृष्ण पक्ष अष्टमी को भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ । यह दिन श्रीकृष्णजयंती के रूप में मनाया जाता है । प्रस्तुत लेख में श्रीकृष्ण की पूजाविधि दी है । पूजा के मंत्रों का अर्थ समझ में आने पर, भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अधिक भावपूर्ण होने में सहायता होती है … Read more

विनाशकारी पटाखोंपर प्रतिबंध लगाएं !

अमावास्याका अंधेरा कान फाडनेवाले पटाखोंके कारण दूर नहीं होता; अपितु आंखोंके समक्ष जुगनूके समान चमककर सर्वत्र गहराता हुआ अंधकार होनेका ही भ्रम होता है ।

दीपावलीका पूर्वायोजन

दीपावली शब्दका अर्थ है, दीपोंकी पंक्ति । अपने घरमें सदैव लक्ष्मीका वास रहे, ज्ञानका प्रकाश रहे, इसलिए हरकोई बडे आनंदसे दीपोत्सव मनाता है । घर शुद्ध एवं सुशोभित कर दीपावली मनानेसे श्री लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं तथा वहां स्थायीरूपसे निवास करती हैं ।

‘दीपावली’

वसुबारस अर्थात् गोवत्स द्वादशी दीपावलीके आरंभमें आती है । यह गोमाताका सवत्स अर्थात् उसके बछडेके साथ पूजन करनेका दिन है । शक संवत अनुसार आश्विन कृष्ण द्वादशी तथा विक्रम संवत अनुसार कार्तिक कृष्ण द्वादशी गोवत्स द्वादशीके नामसे जानी जाती है । यह दिन एक व्रतके रूपमें मनाया जाता है ।

यमतर्पण

श्री यमराज धर्मके श्रेष्ठ ज्ञाता एवं मृत्युके देवता हैं । असामयिक मृत्युके निवारण हेतु यमतर्पणकी विधि बताई गई है । नरक चतुर्दशी के दिन यह विधि अभ्यंगस्नान के उपरांत की जाती है ।

तुलसी विवाह

इस दिनसे शुभ दिवसका, अर्थात मुहूर्तके दिनोंका आरंभ होता है । ऐसा माना जाता है कि, ‘यह विवाह भारतीय संस्कृतिका आदर्श दर्शानेवाला विवाह है ।’ घरके आंगनमें गोबर-मिश्रित पानी छींटिए ।

भाईदूज मनानेसे भाई एवं बहनको होनेवाले लाभ

यमद्वितीया अर्थात भाईदूजके दिन ब्रह्मांडसे आनंदकी तरंगोंका प्रक्षेपण होता है । इन तरंगोंका सभी जीवोंको अन्य दिनोंकी तुलनामें ३० प्रतिशत अधिक लाभ होता है । इसलिए सर्वत्र आनंदका वातावरण रहता है ।

बलिप्रतिपदा

कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा वर्षके साढेतीन प्रमुख शुभ मुहूर्तोंमेंसे आधा मुहूर्त है । इसलिए भी इस दिनका विशेष महत्त्व है । कार्तिक शुक्ल प्रतिपदाके दिन कुछ विशेष उद्देश्योंसे विविध धार्मिक विधियां करते हैं । प्रत्येक विधि करनेका समय भिन्न होता है ।