श्री गणेशभक्तो, क्या आप ये जानते हैं ?
श्री गणेश ब्रह्मांड की दूूषित शक्ति को आकर्षित करनेवाले हैं, इसके साथ ही मनुष्य की बुद्धि में विवेक निर्माण करनेवाले हैं । श्री गणेश की उपासना से विकल्पशक्ति प्रभाव नहीं डालती ।
श्री गणेश ब्रह्मांड की दूूषित शक्ति को आकर्षित करनेवाले हैं, इसके साथ ही मनुष्य की बुद्धि में विवेक निर्माण करनेवाले हैं । श्री गणेश की उपासना से विकल्पशक्ति प्रभाव नहीं डालती ।
महाराष्ट्र की नगरपालिका और नगरपरिषद के क्षेत्रों में प्रतिदिन निर्माण होनेवाले अपशिष्ट जल, उस पर की जानेवाली प्रक्रिया और उसका निस्तारण, इस विषय की एक सारणी शासन ने ही प्रकाशित की है । यह सारणी फरवरी २०१४ की है । इससे आपके ध्यान में आएगा कि जलप्रदूषण गणेश मूर्ति के कारण होता है कि शासकीय अधिकारियों की कामचोरी के कारण ?
केवल पुण्यसंचय हो, इस सद्हेतु से एकादशी की ओर देखना अयोग्य है । एकादशी व्रत करने के सर्वंकश लाभ समाज, राष्ट्र और व्यक्ति को हुए हैं और होनेवाले हैं । हिन्दू धर्म के प्रत्येक माह में दो एकादशी आती हैं ।
पुणे के वैद्य खाजगीवाले ग्वालियर का सार्वजनिक गणेशपूजन को देखकर प्रभावित होना तथा अपने मित्रों से पुणे में सार्वजनिक गणेशोत्सव आरंभ करने के लिए कहना और सर्वसम्मति से पुणे में पहली बार सार्वजनिक गणेशमूर्ति बैठाना
श्री गणपतिके हाथकी लंबाई, मोटाई, आकार अथवा मुकुटकी कलाकृतियोंमें थोडा भी परिवर्तन करनेपर पूरे स्पंदन परिवर्तित हो जाते हैं ।
त्योहार तथा उत्सवों का रहस्य ज्ञात होने से उन्हें अधिक आस्था के साथ मनाया जा सकता है । अतः इन लेखों में इस त्योहार का रहस्य तथा शास्त्र की जानकारी देनेपर विशेष बल दिया गया है । हिन्दू नववर्ष अर्थात गुढी पाडवा को गुढी क्यों खडी की जाती है ?
भगवान शिवजी को संभवतः दूध से अभिषेक करना चाहिए; क्योंकि दूध में शिवजी के तत्त्व को आकर्षित करने की क्षमता अधिक होने से दूध के अभिषेक के माध्यम से शिवजी का तत्त्व शीघ्र जागृत हो जाता है । उसके पश्चात उस दूध को तीर्थ के रूप में पीने से उस व्यक्ति को शिवतत्त्व का अधिक लाभ मिलता है ।
रथसप्तमी को रविवार को उत्तरा-फाल्गुनी नक्षत्र पर आदित्यदेव (सूर्यदेव) प्रकट हुए । इसलिए रथसप्तमी श्रेष्ठ तिथि मानी जाती है । इस दिन सूर्यदेव अधिक आनंदी होते हैं तथा आप जो मांगते हैं, वह आपको देते हैं । श्रद्धालुआें की श्रद्धा है कि रथसप्तमी का उपवास करनेवाले को स्वप्न में सूर्यदेव के दर्शन होते हैं ।
विवाहका पूर्णरूपसे आध्यात्मिक लाभ उठानेके लिए, हिंदुओ, विवाह विधिमें ऐसी अनिष्ट प्रथाओंका निषेध करें !
एक बार शिवजी किसी कार्य से बहुत समय तक अपने स्थान से बाहर रहे । तब लक्ष्मीजी, पार्वतीजी से कहती हैं, आप अपने मैल से पुत्र बनाइए । इससे आपका अकेलापन दूर होगा और संसार का कल्याण भी होगा । तब, पार्वतीजी अपने मैल से एक बालक की मूर्ति बनाकर उसमें प्राण डालती हैं ।