तरकारी काटनेकी उचित पद्धति
तरकारी धोनेके उपरांत काटना आरंभ करें । उसे जलसे धोते समय उसमें कुछ मात्रामें सात्त्विक अगरबत्तीकी विभूति मिलाएं । तरकारी अधिक समयतक पानीमें भिगोए रखनेसे उसमें विद्यमान ‘ब’ और ‘क’ जीवसत्त्व घटते हैं ।
तरकारी धोनेके उपरांत काटना आरंभ करें । उसे जलसे धोते समय उसमें कुछ मात्रामें सात्त्विक अगरबत्तीकी विभूति मिलाएं । तरकारी अधिक समयतक पानीमें भिगोए रखनेसे उसमें विद्यमान ‘ब’ और ‘क’ जीवसत्त्व घटते हैं ।
आजकल सभी स्थानोंपर काली शक्तिका आवरण बढ गया है । इसलिए घरके अनाजपर भी आवरण आता है । उनपर आवरण न आए, इसलिए घरमें रखे अनाजके संग्रहके निकट किसी देवताकी सात्त्विक नामजप-पट्टी रखें ।
मूर्ति भग्न हो जाना, यह आगामी संकट की सूचना होती है । इसलिए शास्त्र में घर तथा देवालय में विद्यमान भग्न मूर्ति का विसर्जन कर वहां नई मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा करने से पहले अघोर होम, तत्त्वोत्तारण विधि (भग्न मूर्ति में विद्यमान तत्त्व को निकालकर उसे नई मूर्ति में प्रस्थापित करना) इत्यादि विधियां करने के लिए कहा गया है ।
यहां छोटे बच्चे वे होते हैं, जिनके दांत नहीं आए हों, साथ ही जिन में हड्डियां बनने की प्रक्रिया पूर्ण न हुई हो और उनकी मृत्यु हुई हो, तो उनका श्राद्ध नहीं किया जाता ।
धर्महानि रोकना कालानुसार आवश्यक धर्मपालन है और वह उस देवता की समष्टि स्तर की साधना ही है । बिना इस उपासना के देवता की उपासना पूर्ण नहीं हो सकती है ।
हाल ही में कथित पर्यावरणवादी कागद की लुगदी से बनाई जानेवाली श्री गणेशमूर्ति का समर्थन करते हैं, तथापि उसके कारण कितना प्रदूषण होता है, यह भी जान लेना आवश्यक है ।
आजकल कीमती वस्तुएं भेंटस्वरूप देने को उपहार मानते हैं; परंतु वास्तव में यह भावनावश किया गया कर्म है ।
त्यौहार और उत्सवों में प्रत्येक कृति आध्यात्मिक लाभ के लिए की जाती है, इस धर्मशिक्षा के अभाव के कारण हिन्दुओं को ध्यान में नहीं आता । गणेशोत्सव का आध्यात्मिक लाभ पाने के लिए भाविकों को शास्त्रीय पद्धति के अनुसार शाडू की श्री गणेशमूर्ति की स्थापना करनी चाहिए ।
सैकडों वर्ष पूर्व जब देवालयों का निर्माण किया गया, तब कुल जनसंख्या और दर्शन हेतु आनेवाले हिन्दुओं की संख्या मर्यादित थी । देवालय में दर्शन हेतु आनेवालों की संख्या को देखते हुए देवालय का आकार और रचना पूरक थी ।
नियंत्रक और महालेखापरीक्षक का आर्थिक वर्ष २०१०-११ (३१ मार्च २०११ को समाप्त हुआ आर्थिक वर्ष) के ब्यौरे में जलप्रदूषण के स्रोत के विषय में बताते हुए उन्होंने पशुवधगृहों का उल्लेख किया था । उसमें आगे दिए अनुसार कहा है ।