विश्वकर्मा पूजा

हिन्दू धर्मानुसार शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा शिल्पकला एवं सृजनता के देवता माने जाते हैं । भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि का निर्माणकर्ता भी कहा जाता है । १७ सप्टेंबर को विश्वकर्मा पूजा की जाती है ।

गणगौर तीज

गणगौर व्रत चैत्र कृष्ण प्रतिप्रदा से चैत्र शुक्ल द्वितीया तक रखा जाता है । ‘गण’ अर्थात भगवान शिव तथा ‘गौर’ अथवा ‘गौरी’ अर्थात पार्वती देवी ।

लोहडी

लोहडी का त्यौहार पंजाबियों तथा हरियाणवी लोगों का प्रमुख त्यौहार माना जाता है । यह लोहडी का त्यौहार पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, जम्मू काश्मीर और हिमाचल में धूम धाम तथा हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता हैं । यह त्यौहार पौष मास की अंतिम रात्रि और मकर संक्राति की पूर्वसंध्या को हर वर्ष मनाया जाता हैं ।

पूजाविधि के संदर्भ में शंकानिरसन – भाग २

कर्पूर जलाने से उत्पन्न सूक्ष्म-वायु की उग्र गंध में शिवगणों को आकृष्ट करने की क्षमता अधिक होती है । वास्तु में कनिष्ठ अनिष्ट शक्तियों को नियंत्रित रखने का कार्य शिवगण करते हैं । वास्तु में विद्यमान शिवगणों के अस्तित्व से स्थानदेवता एवं वास्तुदेवता के आशीर्वाद प्राप्त करने में सहायता मिलती है ।

पूजाविधि के संदर्भ में शंकानिरसन – भाग १

मोगरा (बेला), जाही (एक प्रकारकी चमेली), रजनीगंधा इत्यादि पुष्पों में ऐसी लगन होती है कि देवताओं के पवित्रक अधिकाधिक उनकी ओर आकृष्ट हों । उन पुष्पों की कलियां सूर्यास्त से खिलना आरंभ होकर ब्राह्ममुहूर्त की आतुरता से प्रतीक्षा करती हैं । उनकी लगन के कारण देवताओं के पवित्रक उनकी ओर अधिक मात्रा में आकृष्ट होते हैं ।

पूजा की थाली में विभिन्न घटकों की रचना किस प्रकार करें ?

प्रत्यक्ष में देवतापूजन आरंभ करने से पूर्व, पूजनसामग्री एवं अन्य घटकों की संरचना उचित ढंग से करनी आवश्यक है । उक्त संरचना यदि पंचतत्त्वों के स्तरपर आधारित होगी, तो वह अध्यात्मशास्त्रीय दृष्टिकोण से उचित होगी ।

प्रार्थना किसे कहते हैं एवं उससे क्या लाभ होता है ?

उषःकाल में प्रार्थना की कुंजी से दिन का द्वार खोलें और रात को प्रार्थना की कुंडी डालकर उसे बंद कर लें’, ऐसा सुवचन है ।यह वैज्ञानिक प्रयोगोंद्वारा भी सिद्ध हो गया है कि प्रार्थना से व्यक्ति को व्यावहारिक एवं आध्यात्मिक लाभ होते हैं ।

रसोई के संदर्भ में पुछे जानेवाले प्रश्न

दूध पूर्णान्न है; क्योंकि दूध को सगुण चैतन्य का स्रोत माना गया है । जो घटक सत्त्वगुण के माध्यम से कार्य कर दूसरों के लिए कल्याणकारी सिद्ध होते हैं, उन्हें ‘सात्त्विक’ कहा जाता है ।