‘फास्ट फूड’ और जंक फूड

बर्गर, पिज्जा, वेफर्स, चिप्स और अन्य ‘फास्ट फूड’ लोकप्रिय हैं । ‘फास्ट फूड’ बाह्यतः स्वाद में चटपटे लगते हैं, परंतु वे तमोगुणी होते हैं । उनके शारीरिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक दुष्परिणाम होते हैं ।

शर्करा एवं चाय-कॉफी के दुष्परिणाम 

हमारी संस्कृति में जिसका कोई स्थान नहीं, ऐसी चॉकलेट अनेक रोगों विशेषतः दांतों के अनेक रोगों की खान है । उसमें प्रयुक्त सैक्रीन का शरीर पर उससे भी अधिक भयंकर परिणाम होता है ! ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ने भी ‘सैक्रीन’को स्वास्थ्य के लिए, हानिकारक और घातक बताया है ।

ईश्वर से प्रार्थना करनेके विविध उदाहरण !

देवद, पनवेल के सनातन आश्रम में रहकर सेवा करनेवाले श्री. भालचंद्र जोशी को सूझी प्रार्थनाएं इस लेख में प्रस्तुत कर रहे हैं !

कुमकुम (सौभाग्यालंकार)

आजकल की बुद्धिवादी स्त्रियां पति के निधन के उपरांत कुमकुम लगाती हैं, यह सोच कर कि इसमें कोई आपत्ति नहीं है । इस कृत्य से मृत पति की एवं उस विधवा की आध्यात्मिक स्तर पर हानि हो सकती है । इसलिए ‘हिंदू धर्म के विधिवत शास्त्र शुद्ध संस्कारों के पालन में ही हमारा कल्याण है’, यह समझकर धर्म के आगे अपनी बुद्धि न चलाकर धर्मपालन की ओर गंभीरता पूर्वक ध्यान दें ।’

श्री हनुमान तत्त्वको आकृष्ट करनेवाली रंगोली

श्रीहनुमान के मारक तत्त्वको आकृष्ट करनेवाली रंगोली मध्यबिंदू से अष्टदिशांमें प्रत्येकी ५ बिंदू श्रीहनुमान के तारक तत्त्वको आकृष्ट करनेवाली रंगोली मध्यबिंदू से अष्टदिशांमें प्रत्येकी ४ बिंदू

सोलह संस्कार

धर्म सिखाता है कि मनुष्य-जन्म ईश्‍वरप्राप्ति के लिए है; इसलिए जन्म से लेकर मृत्यु तक प्रत्येक प्रसंग में ईश्‍वर के निकट पहुंचने के लिए आवश्यक उपासना कैसे की जाए, इसका मार्गदर्शन धर्मशास्त्र में किया गया है ।

सोते समय शरीर की स्थिति कैसी होनी चाहिए ?

नींद का उद्देश्य शरीर को विश्राम मिले, यह होता है । इस दृष्टि से जिस स्थिति में शरीर को सर्वाधिक विश्राम मिलेगा, वह नींद की स्थिति अच्छी होती है, यह सामान्य नियम है ।

गर्भाधान (ऋतुशान्ति) संस्कार (प्रथम संस्कार)

इस संस्कार में विशिष्ट मंत्र एवं होमहवन से देह की शुद्धि कर, अध्यात्मशास्त्रीय दृष्टिकोण एवं आरोग्य की दृष्टि से समागम करना चाहिए, यह मंत्रों द्वारा सिखाया जाता है ।

नामकरण

जिसप्रकार बच्चे का लिंग गर्भाशय में ही निश्चित होता है, उस प्रकार बच्चे का नाम भी पूर्वनिश्चित ही होता है । शब्द, स्पर्श, रूप, रस एवं गंध, ये घटक एकत्रित रहते हैं; इसीलिए बच्चे का जो रूप है उसके अनुसार उसका नाम भी होता है ।