रसोई के संदर्भ में पुछे जानेवाले प्रश्न
दूध पूर्णान्न है; क्योंकि दूध को सगुण चैतन्य का स्रोत माना गया है । जो घटक सत्त्वगुण के माध्यम से कार्य कर दूसरों के लिए कल्याणकारी सिद्ध होते हैं, उन्हें ‘सात्त्विक’ कहा जाता है ।
दूध पूर्णान्न है; क्योंकि दूध को सगुण चैतन्य का स्रोत माना गया है । जो घटक सत्त्वगुण के माध्यम से कार्य कर दूसरों के लिए कल्याणकारी सिद्ध होते हैं, उन्हें ‘सात्त्विक’ कहा जाता है ।
तरकारी धोनेके उपरांत काटना आरंभ करें । उसे जलसे धोते समय उसमें कुछ मात्रामें सात्त्विक अगरबत्तीकी विभूति मिलाएं । तरकारी अधिक समयतक पानीमें भिगोए रखनेसे उसमें विद्यमान ‘ब’ और ‘क’ जीवसत्त्व घटते हैं ।
आजकल सभी स्थानोंपर काली शक्तिका आवरण बढ गया है । इसलिए घरके अनाजपर भी आवरण आता है । उनपर आवरण न आए, इसलिए घरमें रखे अनाजके संग्रहके निकट किसी देवताकी सात्त्विक नामजप-पट्टी रखें ।
कर्करोग और हृदयरोग रोकनेवाले एन्टी-ऑक्सिडेन्ट नामक पदार्थ केवल बिना दूध की चाय में है । दूध चीनी मिलाकर उबली चाय आयुर्वेद शास्त्रानुसार अग्निमंद करनेवाली (भूख अल्प करने में सहायक) है ।
एल्युमिनियम अथवा हिंडालियम के बरतन शरीर के लिए हानिकारक है । भोजन बनाने के लिए मिट्टी के बरतनों का उपयोग करने से शरीर के लिए आवश्यक खनिज भोजन के माध्यम से मिलते हैं ।
सावधान मित्रो, यदि खाने-पीने की वस्तुआें के पैकेटों पर निम्नांकित कोड लिखे हैं, तो उसमें ये चीजें मिली हुई हैं – EE 322 – गाय का मांस
चावल पकाने की हमारी पारंपरिक पद्धति क्या है ? प्रथम चावल के १६ गुना पानी १०० सेंटीग्रेड पर उबालें ।…
शौच एवं लघुशंका जैसी कृति करते समय पैरके संपर्कमें आई रज-तमात्मक तरंगोंका पैर धोनेसे जलमें विसर्जन होता है तथा देह शुद्ध हो जाता है । हाथ-पैर धोना तथा कुल्ला करनेके संदर्भमें आचारके संदर्भमें देखते है…
प्रकृतिनुसार वस्त्रोंका रंग कैसा होता है ? व्यक्तिकी रुचि-अरुचि उसकी प्रकृतिके अनुरूप होती है एवं प्रकृति उसमें विद्यमान सत्त्व, रज एवं तम, इन त्रिगुणोंपर आधारित होती है ।
अन्न प्राणस्वरूप है, उसे सम्मानपूर्वक ग्रहण करनेसे ही बल एवं तेजसमें वृद्धि होती है ।