पंढरपुर की वारी (यात्रा) : भावभक्ति का उत्कृष्ट उदाहरण
श्री विठ्ठल तथा पंढरपुर की यात्रा के छायाचित्रों के माध्यम से भावपूर्ण दर्शन ..
श्री विठ्ठल तथा पंढरपुर की यात्रा के छायाचित्रों के माध्यम से भावपूर्ण दर्शन ..
हरियाली तीज श्रावण के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है । इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए निर्जला (बिना पानी के) व्रत रखती हैं।
अंबाबाई एवं तुळजाभवानी ये जिनकी कुलदेवता होती हैं, उनके घर विवाह जैसी विधि के पश्चात देवी की स्तुति करते हैं । कुछ लोगों के यहां विवाह जैसे कार्य निर्विघ्न होने हेतु सत्यनारायण की पूजा करते हैं
उपासनामें कुमकुमार्चनका महत्वपूर्ण स्थान है। कुमकुमार्चन करने के उपरांत मूर्ति जागृत होती है। देवी को कुमकुमार्चन करने की दो पद्धतियां हैं।
साडी और चोली वस्त्र-नारियल से देवी का आंचल भरना, यह देवी के दर्शन के समय किया जानेवाला एक प्रमुख उपचार है । यह शास्त्र समझकर, इसे भावपूर्ण करने से, उसका आध्यात्मिक लाभ अधिक प्रमाण में श्रद्धालु को मिलता है ।
पढीएं देवीमांको विशिष्ट फूल चढानेका शास्त्रीय आधार, देवीपूजनमें निषिद्ध फूल, देवीमांके लिए नैवेद्य बनाना, देवी मांकी आरती ।
हिंदुओ, हमाारे सार्वजनिक उत्सवोंका विकृतिकरण हो रहा है । अधिकांश लोग उत्सव मनानेके धार्मिक, आध्यात्मिक व सामाजिक कारणको भूलकर केवल मौजमस्ती इस एक ही दृष्टिसे उत्सवोंकी ओर देखते हैं ।
ऐसी जगदोद्धारिणी मां शक्तिके प्रति कृतज्ञता व्यक्त कर आवाहित शक्तितत्त्वको उनके मूल स्थानपर विराजमान होनेकी विनती करनेका दिन है महानवमी । इस दिन वेदीपर स्थापित घट एवं नवार्णव यंत्रपर स्थापित देवी का विशेष पूजन कर उनका विसर्जन करते हैं ।
दुर्गाष्टमीके दिन देवीके अनेक अनुष्ठान करनेका महत्त्व है । इसलिए इसे `महाष्टमी’ भी कहते हैं । अष्टमी एवं नवमीकी तिथियोंके संधिकालमें अर्थात अष्टमी तिथि पूर्ण होकर नवमी तिथिके आरंभ होनेके बीचके कालमें देवी शक्तिधारणा / शक्ति धारण करती हैं ।
नवरात्रिके प्रथम दिन घटस्थापना करते हैं । घटस्थापना करना अर्थात नवरात्रिकी कालावधिमें ब्रह्मांडमें कार्यरत शक्तितत्त्वका घटमें आवाहन कर उसे कार्यरत करना ।