कोरोना महामारी के कारण उत्पन्न आपातकालीन स्थिति में नवरात्रोत्सव कैसे मनाना चाहिए ?
कोरोना महामारी की पृष्ठभूमि पर लागू की गई यातायात बंदी, साथ ही अन्य प्रतिबंधों के कारण कुछ स्थानों पर सामान्य की भांति नवरात्रोत्सव मनाने पर मर्यादाएं आनेवाली हैं ।
कोरोना महामारी की पृष्ठभूमि पर लागू की गई यातायात बंदी, साथ ही अन्य प्रतिबंधों के कारण कुछ स्थानों पर सामान्य की भांति नवरात्रोत्सव मनाने पर मर्यादाएं आनेवाली हैं ।
वर्तमान में हिन्दुओं के उत्सव-त्योहारों में विकृतियां बढने लगी है, उस अनुषंग से एवं पौरोहित्य करते समय मातृवर्ग द्वारा जो समस्या प्रस्तुत की जा रही हैं, इस कारण यह लेख लिखना प्रतीत हुआ
मंगलवार, शुक्रवार, कोजागरी पूर्णिमा, धनत्रयोदशी, यमदीपदान, देवदीपावली एवं श्री लक्ष्मीपूजनके शुभ प्रसंगमें लक्ष्मीतत्त्व की रंगोलियां बनाएं ।
विशेषकर मंगलवार एवं शुक्रवारके दिन देवीपूजनसे पूर्व तथा नवरात्रिकी कालावधिमें घर अथवा देवालयोंमें देवीतत्त्व आकृष्ट एवं प्रक्षेपित करनेवाली सात्त्विक रंगोलियां बनाएं ।
मूर्ति भग्न हो जाना, यह आगामी संकट की सूचना होती है । इसलिए शास्त्र में घर तथा देवालय में विद्यमान भग्न मूर्ति का विसर्जन कर वहां नई मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा करने से पहले अघोर होम, तत्त्वोत्तारण विधि (भग्न मूर्ति में विद्यमान तत्त्व को निकालकर उसे नई मूर्ति में प्रस्थापित करना) इत्यादि विधियां करने के लिए कहा गया है ।
कुलदेवी, ग्रामदेवी, शक्तिपीठ आदि रूपों में देवी के विविध सगुण रूपों की उपासना की जाती है । हिन्दू संस्कृति में जितना महत्त्व देवता का है उतना ही महत्त्व देवी को भी दिया जाता है,
इस वर्ष की नवरात्रि के उपलक्ष्य में हम देवी के इन ९ रूपों की महिमा समझ लेते हैं । यह व्रत आदिशक्ति की उपासना ही है !
श्री दुर्गादेवी का एक नाम है चंडी । मार्कडेय पुराण में चंडी देवी का माहात्म्य बताया गया है, जिसमें उसके अवतारों का एवं पराक्रमों का विस्तार से वर्णन किया गया है ।
महाकाली ‘काल’ तत्त्व का, महासरस्वती ‘गति’ तत्त्व का एवं महालक्ष्मी ‘दिक्’ (दिशा) तत्त्व का प्रतीक है । काल के प्रवाह में सर्व पदार्थों का विनाश होता है ।
अंबाबाई एवं तुळजाभवानी ये जिनकी कुलदेवता होती हैं, उनके घर विवाह जैसी विधि के पश्चात देवी की स्तुति करते हैं । कुछ लोगों के यहां विवाह जैसे कार्य निर्विघ्न होने हेतु सत्यनारायण की पूजा करते हैं