तीर्थक्षेत्र एवं उनकी विशेषताएं, अनुभूति एवं प्रमुख स्थान
दत्तभक्त गुरुचरित्रका वाचन, पाठ एवं श्रवण बडे भक्तिभावसे करते हैं । दत्तके सभी तीर्थक्षेत्र अत्यंत जागृत हैं । इन तीर्थक्षेत्रोंमें जानेपर अनेक भक्तोंको शक्तिकी अनुभूति होती है ।
दत्तभक्त गुरुचरित्रका वाचन, पाठ एवं श्रवण बडे भक्तिभावसे करते हैं । दत्तके सभी तीर्थक्षेत्र अत्यंत जागृत हैं । इन तीर्थक्षेत्रोंमें जानेपर अनेक भक्तोंको शक्तिकी अनुभूति होती है ।
वर्तमानमें देवताओंका विविध प्रकारसे अनादर किया जाता है । देवताओंका अनादर करनेसे धर्मप्रेमियोंकी भावनाएं आहत होती हैं । इसके संबंधमें पुलिस थानेमें परिवाद (शिकायत) प्रविष्ट करें !
मार्गशीर्ष पूर्णिमाके दिन मृग नक्षत्रपर सायंकाल भगवान दत्तात्रेयका जन्म हुआ, इसलिए इस दिन भगवान दत्तात्रेयका जन्मोत्सव सर्व दत्तक्षेत्रोंमें मनाया जाता है ।