गुढी : महत्त्व तथा गुढी के लिए प्रार्थना !

त्योहार तथा उत्सवों का रहस्य ज्ञात होने से उन्हें अधिक आस्था के साथ मनाया जा सकता है । अतः इन लेखों में इस त्योहार का रहस्य तथा शास्त्र की जानकारी देनेपर विशेष बल दिया गया है । हिन्दू नववर्ष अर्थात गुढी पाडवा को गुढी क्यों खडी की जाती है ?

‘महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर दूध का अभिषेक न कर उस दूध को अनाथों को दें’, ऐसा धर्मद्रोही आवाहन करनेवालों को अभिमान के साथ निम्न उत्तर दें !

भगवान शिवजी को संभवतः दूध से अभिषेक करना चाहिए; क्योंकि दूध में शिवजी के तत्त्व को आकर्षित करने की क्षमता अधिक होने से दूध के अभिषेक के माध्यम से शिवजी का तत्त्व शीघ्र जागृत हो जाता है । उसके पश्‍चात उस दूध को तीर्थ के रूप में पीने से उस व्यक्ति को शिवतत्त्व का अधिक लाभ मिलता है ।

हिन्दू संस्कृति के प्राण भगवान सूर्यनारायण की विविध फलदायी सूर्योपासना !

रथसप्तमी को रविवार को उत्तरा-फाल्गुनी नक्षत्र पर आदित्यदेव (सूर्यदेव) प्रकट हुए । इसलिए रथसप्तमी श्रेष्ठ तिथि मानी जाती है । इस दिन सूर्यदेव अधिक आनंदी होते हैं तथा आप जो मांगते हैं, वह आपको देते हैं । श्रद्धालुआें की श्रद्धा है कि रथसप्तमी का उपवास करनेवाले को स्वप्न में सूर्यदेव के दर्शन होते हैं ।

हिन्दुओ, त्योहार मनाते समय उसका महत्त्व जानिए और संस्कृति विरोधियों को उचित उत्तर दीजिए !

एक बार शिवजी किसी कार्य से बहुत समय तक अपने स्थान से बाहर रहे । तब लक्ष्मीजी, पार्वतीजी से कहती हैं, आप अपने मैल से पुत्र बनाइए । इससे आपका अकेलापन दूर होगा और संसार का कल्याण भी होगा । तब, पार्वतीजी अपने मैल से एक बालक की मूर्ति बनाकर उसमें प्राण डालती हैं ।

देवदीपावली

कुलस्वामी, कुलस्वामिनी एवं इष्टदेवताके अतिरिक्त अन्य देवताओंकी पूजा भी वर्षमें किसी एक दिन करना तथा उनको भोग प्रसाद अर्पण करना आवश्यक होता है । यह इस दिन किया जाता है ।

आकाशदीप

आकाशदीप का मूल आकार कलशसमान होता है । यह मुख्यतः चिकनी मिट्टी का बना होता है । इसके मध्य पर तथा ऊपरी भाग पर गोलाकार रेखा में एक-दो इंच के अंतर पर अनेक गोलाकार छेद होते हैं ।

आकाशदीप लगाने का अध्यात्मशास्त्र (सूक्ष्म विज्ञान)

दीपावली के दिनों में ब्रह्मांड में संचार करनेवाले अनिष्ट तत्त्वों का निर्मूलन करने के लिए श्रीलक्ष्मी-तत्त्व सक्रिय होता है । इसे प्राप्त करने के लिए, घर के बाहर ऊंचे स्थान पर आकाशदीप लगाया जाता है ।

कोजागरी पूर्णिमा (शरद पूर्णिमा)

कोजागरी पूर्णिमा के दिन रात्रि को लक्ष्मी तथा इंद्र की पूजा की जाती है । कोजागरी पूर्णिमा की कथा इस प्रकार है कि, बीच रात्रि में लक्ष्मी पृथ्वी पर आकर जो जागृत है, उसे धन,अनाज तथा समृद्धी प्रदान करती है ।

देवी का महत्त्व !

कुलदेवी, ग्रामदेवी, शक्तिपीठ आदि रूपों में देवी के विविध सगुण रूपों की उपासना की जाती है । हिन्दू संस्कृति में जितना महत्त्व देवता का है उतना ही महत्त्व देवी को भी दिया जाता है,

शक्तिदेवता !

इस वर्ष की नवरात्रि के उपलक्ष्य में हम देवी के इन ९ रूपों की महिमा समझ लेते हैं । यह व्रत आदिशक्ति की उपासना ही है !