हिन्दू नववर्षारंभ (चैत्र शुक्ल प्रतिपदा) से व्यक्तिगत एवं सामाजिक जीवन में रामराज्य स्थापित करने का संकल्प करें !
सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी का नववर्ष के अवसर पर संदेश
सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी का नववर्ष के अवसर पर संदेश
इस वर्ष गुडीपडवा २२ मार्च को है । गुडीपडवा अर्थात सृष्टि का निर्मिति दिन ! इस नववर्षारंभ दिन के अवसर पर श्रीरामस्वरूप सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के चरणों में शरणागत होकर साधना के प्रयास बढाने का शुभ संकल्प करें !…
छत्रपति संभाजी महाराज का बलिदानदिन और हिन्दू नववर्षारंभ दिन चैत्रप्रतिपदा एक-दूसरे से लगकर आते हैं । वर्ष २०१३ में महाराष्ट्र राज्य के खानदेश और मराठवाडा में कुछ जातिवादियों ने कहा कि चैत्रप्रतिपदा के दिन गुढी (बांस अथवा लाठी पर उलटा टांगा गया कलश) खडी करने से छत्रपति संभाजी का अपमान होता है । इसलिए, उन्होंने वहां के हिन्दुओं को ऐसा नहीं करने दिया और जिन्होंने गुढी खडी की थी, उसे नीचे खींच दिया ।
हिन्दुओं का वर्षारंभ वर्ष-प्रतिपदा को होता है । धर्मशास्त्र में वर्षारंभ के दिन सूर्योदय के तुरंत पश्चात ब्रह्मध्वज की पूजा करें । पाठकों के लिए शास्त्र के अनुसार किस प्रकार ब्रह्मध्वज की पूजा करनी चाहिए, इसकी यहां मंत्रसहित जानकारी दे रहे हैं जिस स्थान पर ब्रह्मध्वज खडा करना है, वहां ब्रह्मध्वज खडा कर उसकी पूजा करें ।
त्योहार तथा उत्सवों का रहस्य ज्ञात होने से उन्हें अधिक आस्था के साथ मनाया जा सकता है । अतः इन लेखों में इस त्योहार का रहस्य तथा शास्त्र की जानकारी देनेपर विशेष बल दिया गया है । हिन्दू नववर्ष अर्थात गुढी पाडवा को गुढी क्यों खडी की जाती है ?
आजकल ऐसा देखने को मिलता है कि कुछ लोग ब्रह्मध्वजा पर स्टील या तांबे का लोटा अथवा घडे के आकारवाला बरतन रखते हैं । धर्मशास्त्र के अनुसार ‘ब्रह्मध्वजा पर तांबे का कलश उल्टा रखने का अध्यात्मशास्त्रीय विवेचन यहां दे रहे हैं । इससे हमारी संस्कृति का महत्त्व तथा प्रत्येक कृत्य धर्मशास्त्र के अनुसार करने का महत्त्व समझ में आता है !
सर्व ऋतुओंमें बहार लानेवाली ऋतु है, वसंत ऋतु । इस काल में उत्साहवर्द्धक, आह्लाददायक एवं समशीतोष्ण वायु होती है । इस प्रकार भगवान श्रीकृष्णजी की विभूतिस्वरूप वसंतऋतु के आरंभ का दिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा नववर्ष है ।
चैत्र शुक्ल प्रतिपदाके दिन तेजतत्त्व एवं प्रजापति तरंगें अधिक मात्रामें कार्यरत रहती हैं । अत: सूर्योदयके उपरांत ५ से १० मिनटमेंही ब्रह्म ध्वजको खडाकर उसका पूजन करनेसे जीवोंको ईश्वरीय तरंगोका अत्याधिक लाभ मिलता है ।