प्रवचन २

हममें से प्रत्‍येक व्‍यक्‍ति ने सुख के क्षण और दुख का भी अनुभव किया है । प्रत्‍येक व्‍यक्‍ति के प्रयास भले ही सुख की प्राप्‍ति के लिए होते हों; परंतु अधिकांश समय हमें दुख ही मिलता है, ऐसा हमारा अनुभव रहता है । सर्वसामान्‍यरूप से आज के काल में मनुष्‍य जीवन में औसतन सुख २५ प्रतिशत और दुख ७५ प्रतिशत होता है ।

प्रवचन १ : आनंदमय जीवन एवं आपातकाल की दृष्टि से अध्यात्म का महत्त्व

धर्मशास्‍त्र में ईश्‍वरप्राप्‍ति अर्थात आनंदप्राप्ति के अनेक मार्ग बताए गए हैं । किंतु अनेकों को यह ज्ञात नहीं होता कि इन सहस्रों साधनामार्ग मे से कौनसी साधना आरंभ करें । इस कारण अनेक लोग उन्‍हें जो पसंद है अथवा उन्‍हें जैसे लगता है, उसके अनुसार साधना करने का प्रयत्न करता है ।