‘यज्ञसंस्कृति’ को पुनर्जीवित करनेवाले मोक्षगुरु परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी !
गुरुदेवजी साधकों को सैद्धांतिक और प्रायोगिक दोनों अंगों की शिक्षा देकर इस कलियुग में भी साधकों से चार युगों की साधना करवाकर उन्हें पूर्णत्व तक पहुंचा रहे हैं । उसके लिए सनातन धर्म के महत्त्वपूर्ण और अभिन्न अंग ‘यज्ञसंस्कृति’ को आप पुनर्जीवित कर रहे हैं ।