श्रद्धालुओ, कुंभक्षेत्रकी पवित्रता तथा वहांकी सात्त्विकता बनाए रखनेका प्रयास करें !

कुंभक्षेत्र तीर्थक्षेत्र हैं । वहांकी पवित्रता तथा सात्त्विकता बनाए रखनेका प्रयास करना, यह स्थानीय पुरोहित, देवालयोंके न्यासी तथा प्रशासनके साथ ही वहां आए प्रत्येक तीर्थयात्रीका भी कर्तव्य है ।

हरद्वार (हरिद्वार) स्थित विविध क्षेत्रोंकी महिमा

यह उत्तराखंड राज्यके गंगातटपर बसा प्राचीन तीर्थक्षेत्र है । हिमालयकी अनेक कंदराओं एवं शिलाओंसे तीव्र वेगसे नीचे आनेवाली गंगाका प्रवाह, यहांके समतल क्षेत्रमें आनेपर मंद पड जाता है ।

सिंहस्थ पर्वमें गोदावरीस्नान अत्यंत पवित्र क्यो माना गया है?

६० सहस्त्र वर्ष भागीरथी नदीमें स्नान करनेसे जितना पुण्य मिलता है, उतना पुण्य गुरुके सिंह राशिमें आनेपर गोदावरीमें किए केवल एक स्नानसे प्राप्त होता है ।

कुंभमेला : हिंदू संस्कृति अंतर्गत समानताका प्रतीक

प्रयागराज (इलाहाबाद), हरद्वार (हरिद्वार), उज्जैन एवं त्र्यंबकेश्वरनासिक, इन चार स्थानोंपर होनेवाले कुंभमेलोंके निमित्त धर्मव्यवस्थाद्वारा चार सार्वजनिक मंच हिंदू समाजको उपलब्ध करवाए हैं । कुंभमेलेके ये चार क्षेत्र चार दिशाओंके प्रतीक हैं ।

कुंभमेलेका धार्मिक महत्त्व

करोडोंके जनसमूहकी उपस्थितिमें संपन्न होनेवाले कुंभक्षेत्रके मेले हिंदुओंका विश्वका सबसे बडा धार्मिक मेला है । पवित्र तीर्थक्षेत्रोंमें स्नान कर पाप-क्षालन हो, इस हेतु अनेक श्रद्धालु कुंभपर्वमें कुंभक्षेत्रमें स्नान करते हैं ।

कुंभपर्व, कुंभपर्व उत्पत्तिकी कथा एवं उनका माहात्म्य

प्रयाग (इलाहाबाद) उत्तरप्रदेशमें गंगा, यमुना एवं सरस्वतीके पवित्र ‘त्रिवेणी संगम’पर बसा तीर्थस्थान है । गंगा एवं यमुना नदी दिखाई देती हैं; परंतु सरस्वती नदी अदृश्य है । इस पवित्र संगमके कारण ही इसे ‘प्रयागराज’ अथवा ‘तीर्थराज’ कहा जाता है ।

ॐ नम: शिवाय

१. शिवजी के नामजप का महत्त्व     ‘नमः शिवाय ।’ यह शिवजी का पंचाक्षरी नामजप है । इस मंत्र का प्रत्येक अक्षर शिव की विशेषताओंका निदर्शक है । जहां गुण हैं वहां सगुण साकार रूप है । ‘नमः शिवाय ।’ इस पंचाक्षरी नामजप को निर्गुण ब्रह्म का निदर्शक ‘ॐ’कार जोडकर ‘ॐ नमः शिवाय’ यह … Read more

श्री गणेशोपासना एवं उससे संबंधित महत्वपूर्ण सूत्र

श्री गणेशजीकी उपासनामें नामजप जैसे विविध कृत्योंका अंतर्भाव होता है । पूजनमें दूर्वा, शमी एवं मदार की पत्तियां, लाल एवं सिंदूरी रंगकी वस्तुएं; उपयोगमें लाए जाते हैं ।

भगवान श्रीकृष्ण

१. व्युत्पत्ति एवं अर्थ अ. ‘(आ)कर्षणम् करोति इति ।’, अर्थात आकर्षित करनेवाला । ‘कर्षति आकर्षति इति कृष्णः ।’ अर्थात, जो खींचता है, आकर्षित कर लेता है, वह श्रीकृष्ण । आ. लौकिक अर्थसे श्रीकृष्ण अर्थात काला । कृष्णविवर (Blackhole) में प्रकाश है, इसका शोध आधुनिक विज्ञानने अब किया है ! कृष्णविवर ग्रह, तारे इत्यादि सबको अपनेमें खींचकर नष्ट कर … Read more