प्रभु श्रीराम का आदर्श जीवन
प्रभु श्रीराम की जीवन हम सभी को हर स्थिति में कैसे रहना है, इसका संदेश देती है । प्रभु श्रीराम स्वयं भगवान विष्णु के अवतार थे ।
प्रभु श्रीराम की जीवन हम सभी को हर स्थिति में कैसे रहना है, इसका संदेश देती है । प्रभु श्रीराम स्वयं भगवान विष्णु के अवतार थे ।
देवताको विशिष्ट वस्तु अर्पित की जाती है, जैसे हनुमानजीको तेल, सिंदूर एवं मदारके फूल तथा पत्ते । इन वस्तुओंमें हनुमानजीके महालोकतकके देवताके सूक्ष्मातिसूक्ष्म कण, जिन्हें पवित्रक कहते हैं, उन्हें आकृष्ट करनेकी क्षमता होती है ।
हनुमानजीकी उपासना करनेसे शनिकी पीडाका निवारण होता है । हनुमानजीका नामजप करनेसे अनिष्ट शक्तिसे पीडित किसी व्यक्तिको विविध शारीरिक तथा मानसिक कष्ट होते हों, तो उनका निवारण होता है ।
अधिकांशत: हनुमानजीका वर्ण लाल एवं कभी-कभी काला भी होता है । मारुतिके विविध रूप हैं । जैसे दासमारुति, वीरमारुति, पंचमुखी मारुति पंचमुखी मारुतिकी मूर्ति बडे आकारकी होती है ।
श्री अर्थात शक्ति, सौंदर्य, सद्गुण इत्यादि, लंका विजयके पश्चात्, राम जब सीतासहित अयोध्यानगरी लौटे, तब सर्व अयोध्यावासी उन्हें ‘श्रीराम’ के नामसे संबोधित करने लगे । श्रीरामजी राजधर्मका पालन करनेमें तत्पर थे ।
शिव पूजा में सबसे महत्त्वपूर्ण तथा शिवजीको प्रिय घटक है बिल्वपत्र । शिव पूजा कैसे करें ? शिवपिंडी की परिक्रमा कैसे करें ?
यज्ञमें अर्पित समिधा एवं घीकी आहुतिके जलनेके उपरांत शेष बची पवित्र रक्षाको ‘भस्म’ कहते हैं । भस्मको विभूति एवं राख, इन नामोंसे भी जाना जाता है ।
शिवजीसे प्रक्षेपित शक्तिशाली सात्त्विक तरंगें सर्वप्रथम नंदीकी ओर आकृष्ट होती हैं, तदुपरांत वातावरणमें प्रक्षेपित होती हैं । शिवपिंडीसे चैतन्यके वलयोंका पूरे शिवालयमें प्रक्षेपण होता रहता है ।
शिवजीमें पवित्रता, ज्ञान एवं साधना, ये तीनों गुण परिपूर्णतः विद्यमान हैं । इसलिए उन्हें ‘देवोंके देव’, अर्थात ‘महादेव’ कहते हैं ।
सर्वत्रके कुंभमेलेमें एकत्र होनेवाले सर्व अखाडे उत्तर भारतके हैं । प्रत्येक अखाडेमें महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, महंत जैसे कुछ प्रमुखोंकी श्रेणी होती है । नम्र, विद्वान तथा परमहंस पद प्राप्त ब्रह्मनिष्ठ साधुका चयन इस पदके लिए किया जाता है ।