पाकिस्तान में है भक्त प्रल्हाद का मंदिर, जहां हुई थी होली की शुरुआत !

भक्त प्रल्हाद ने भगवान नृसिंह के सम्मान में एक मंदिर बनवाया था जो वर्तमान में पाकिस्तान स्थित पंजाब के मुल्तान शहर में है। इसे प्राचीनकाल में श्रीहरि के ‘भक्त प्रल्हाद का मंदिर’ के रूप में जाना जाता था। इस मंदिर का नाम प्रल्हादपुरी मंदिर है।

भारत श्रीयंत्रांकित राष्ट्र होने के कारण भारत को आध्यात्मिक दृष्टि से प्राप्त वैभव !

हमारा भारत देश आरंभ से ही ‘श्रीयंत्रांकित’ है ! उपर का त्रिकोण हिमालय, अरवली एवं सातपुडा पर्वतों से मिलाकर बना है। विंध्य पर्वत नीव होनेवाला तथा बाजू की दो पूर्वघाटियां एवं पश्‍चिम घाटी को मिलाकर नीचला त्रिकोण बना है।

दो हिस्सों में बंटा है ये अर्द्धनारीश्वर शिवलिंग, शिवरात्रि पर हो जाता है दोनों का मिलन

यूं तो संपूर्ण भारत में ही शिव के अनेक मंदिर हैं किंतु उत्तराखंड और हिमाचल के पर्वतीय क्षेत्रो में ऐसे कई चमत्कारी मंदिर हैं, जहां श्रद्धालु भोलेनाथ को नमन करने के अलावा उस मंदिर से जुड़ी प्राचीन व अलौकिक मान्यताओं के कारण भी दर्शन करने आते हैं।

राजस्थान : भगवान लक्ष्मण के इस चमत्कारिक मंदिर को बचाने के लिए भक्तों ने लगार्इ न्यायालन से गुहार !

यहां भगवान लक्ष्मण का मंदिर है। इस मंदिर से चमत्कार की घटनाएं भी जुड़ी हुई हैं। भगवान के नाम सालों पहले १६ बीघा देवस्थान माफी मंदिर की जमीन थी। यह जमीन किसी व्यक्ति के नाम हस्तांतरित नहीं हो सकती,

महिलादिन के अवसर पर !

भारतीय संस्कृति में स्त्रियों के शीलरक्षण का विशेष महत्त्व है । इसी कारण रामायण और महाभारत हुआ था । आज भारतीय स्त्रियों के शीलरक्षण को महत्त्व नहीं दिया जाता ।

२२२ सालों से लगातार जल रहा है रघुनाथ मंदिर का दीपक

अहमदाबाद में एक तेल का दीया ऐसा भी है जो पिछले २२२ वर्षाें से लगातार जल ही रहा है । गोस्वामी हवेली पर नटवर प्रभु और श्यामल जी के वैष्णव मंदिर पर जल रही इस अखंड ज्योति पर सभी समुदाय और जाति के लोगों का विश्वास है ।

पाताल तक जाता है इस शिवलिंग पर चढाया गया जल, यहां लक्ष्मण को दिए थे महादेव ने दर्शन !

भगवान शिव के कई प्राचीन मंदिर अत्यंत रहस्यमय भी हैं। छत्तीसगढ़ के खरौद नगर में स्थित एक प्राचीन मंदिर में जिस शिवलिंग की पूजा की जाती है, उसके बारे में मान्यता है कि यहां से एक मार्ग पाताल तक जाता है।

यहां फेरे लेकर भगवान शिवजी ने किया था माता पार्वती से विवाह, आज भी जल रही वो अग्नि

भगवान शिवजी को पत‌ि रूप में पाने के ल‌िए देवी पार्वती ने कठोर तपस्या की थी। देवी पार्वती की कठोर तपस्या के बाद भगवान शिव ने उनके विवाह के प्रस्ताव को स्वीकार कर दिया। भगवान शिवजी और देवी पार्वती का विवाह उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में हुआ था।

यहां मिला २००० वर्ष प्राचीन शिवलिंग, आता है तुलसी जैसा सुगंध !

शिवलिंग की सबसे बड़ी विशिष्टता यह है कि, इससे ऐसी बहुत सी ऐतिहासिक चीजें जुड़ी हैं जो आज भी इस जमीन में है और हमें हमारी पुरानी सभ्यता और उनसे जुड़े किस्से-कहानियों की याद दिलाती हैं।

त्रैलंग स्वामी

त्रैलंग स्वामी जी एक हिन्दू योगी थे । वे गणपति सरस्वती के नाम से भी जाने जाते थे । माना जाता है कि उनकी आयु लगभग ३०० वर्ष रही थी ।