ज्योतिर्मय काशी (उत्तरप्रदेश) की श्री ब्रह्मचारिणी देवी

काशी के दुर्गाघाट पर श्री ब्रह्मचारिणी देवी का मंदिर है । शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन श्री ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा की जाती है । देवी के प्रति श्रद्धालुओं का विश्वास है कि ‘इस देवी के दर्शन से परब्रह्म की प्राप्ति होती है |

देवी का महत्त्व !

कुलदेवी, ग्रामदेवी, शक्तिपीठ आदि रूपों में देवी के विविध सगुण रूपों की उपासना की जाती है । हिन्दू संस्कृति में जितना महत्त्व देवता का है उतना ही महत्त्व देवी को भी दिया जाता है,

५१ शक्तिपिठों मेंसे एक श्रीक्षेत्र काशी (उत्तरप्रदेश) की श्री बंदीदेवी

श्रीक्षेत्र काशी के दशाश्वमेध किनारे पर श्री बंदीदेवी का मंदिर है । यह देवी ५१ शक्तिपिठों मेंसे एक है । देवी के दायी ओर वेणीमाधव, बायी ओर दो मारुति, अक्षत वड, वासुकी(नाग) तथा बीच में प्रयागेश्वर की प्रतिमा हैं ।

शक्तिदेवता !

इस वर्ष की नवरात्रि के उपलक्ष्य में हम देवी के इन ९ रूपों की महिमा समझ लेते हैं । यह व्रत आदिशक्ति की उपासना ही है !

झारखंड स्थित विश्वविख्यात श्री छिन्नमस्तिका देवी का अति प्राचीन मंदिर !

झारखंड की राजधानी रांची से ८० किलोमीटर दूर रामगढ जनपद के रजरप्पा गांव में श्री छिन्नमस्तिका देवी का विश्वविख्यात मंदिर है । भारत के अनेक प्राचीन मंदिरों में एक  यह मंदिर, भैरवी तथा दामोदर इन नदियों के संगम पर स्थित है ..

चंडीविधान (पाठ एवं हवन)

श्री दुर्गादेवी का एक नाम है चंडी । मार्कडेय पुराण में चंडी देवी का माहात्म्य बताया गया है, जिसमें उसके अवतारों का एवं पराक्रमों का विस्तार से वर्णन किया गया है ।

आद्याशक्ति

महाकाली ‘काल’ तत्त्व का, महासरस्वती ‘गति’ तत्त्व का एवं महालक्ष्मी ‘दिक्’ (दिशा) तत्त्व का प्रतीक है । काल के प्रवाह में सर्व पदार्थों का विनाश होता है ।

श्री गणेशजी का कार्य, विशेषताएं एवं उनका परिवार

विभिन्न साधनामार्गों के संत विभिन्न देवताओं के उपासक होते हैं, फिर भी सब संतों ने श्री गणेश की शरण जाकर याचना की है, उनका भावपूर्ण स्तवन किया है । सर्व संतों के लिए श्री गणेश अति पूजनीय देवता रहे ।

श्री गणपति के कुछ अन्य नाम

पार्वती द्वारा निर्मित गणेशजी महागणपति के अवतार हैं । उन्होंने मिट्टी से आकार बनाया तथा उसमें गणपति का आवाहन किया । जगदुत्पत्ति से पूर्व महत्त्व निर्गुण तथा आत्मस्वरूप में होने के कारण उसे ‘महागणपति’ भी कहते हैं ।