जगद्गुुरु संत तुकाराम महाराज का सदेह वैकुंठगमन होने के तात्कालीन संदर्भ !

जगद्गुरु श्री संत तुकाराम महाराज का सदेह वैकुंठगमन हुआ । उनको वैकुंठ ले जाने के लिए स्वयं भगवान ही वैकुंठ से पधारे और उन्होंने उनको सदेह वैकुंठ ले जाया । यह त्रिवार सत्य है; परंतु कुछ आधुनिकतावादी लोग, हिन्दू धर्म विध्वंसक संगठन ‘तुकाराम महाराज का सदेह वैकुंठगमन नहीं हुआ, अपितु उनकी हत्या की गई’, ऐसा दुष्प्रचार कर रहे हैं ।

नटराज

एक पारम्पारिक धारणा यह है कि नटराज के रूप में शिवजी ने ही नाट्यकला को प्रेरित किया है । लोगों की यह धारणा है कि वे ही आद्य (प्रथम) नट हैं, इसीलिए उन्हें नटराज की उपाधि दी गई । ‘ब्रह्मांड नटराज की नृत्यशाला है ।

नासिक में गोदावरी नदी सूख जाने से नदी में डूबे मंदिर दिखाई देने लगे !

नासिक से २५ कि.मी दूर स्थित गांव में अकाल के कारण गोदावरी नदी सूख गई थी । इससे नदी में डूबे मंदिर दिखाई देने लगे हैं । ये मंदिर लगभग ३४ वर्ष पानी के नीचे थे । अब उनके ऊपर आने पर लोगों ने वहां दर्शन के लिए आना प्रारंभ कर दिया है

महादेव के सामने नंदी नहीं हैं, ऐसा त्रिलोक में एकमेव श्री कपालेश्‍वर मंदिर

नासिक वास्तव में पुण्यभूमि है । इस नगरी को साक्षात भगवान शिव, प्रभु श्रीरामचंद्र और अन्य देवी-देवताआें के चरणस्पर्श हुए हैं; इसलिए वह आध्यात्मिक नगरी भी है ।

क्या बच्चों के लिए गुरुकुल शिक्षापद्धति की आवश्यकता है ?

पहले उपनयन संस्कार के पश्‍चात बच्चों को शिक्षा लेने के लिए गुरुकुल भेजा जाता था । गुरुकुल में बच्चों को पहले अध्यात्म की शिक्षा दी जाती थी । तत्पश्‍चात उनकी रुचि तथा योग्यता के अनुसार उनको कुल ६४ कलाआें में से २-३ कलाआें की शिक्षा दी जाती थी ।

बेटे को संन्यास से दूर रखने के लिए शास्त्र का सहारा लेनेवाले पिता को आदि शंकराचार्य का उत्तर

आद्य शंकराचार्य ने एक ३० वर्ष के युवक को संन्यास की दीक्षा दी । उसके पिता ७५ वर्ष के थे । उन्हें यह बात अनुचित लगी । उन्होंने उनसे परिवाद (शिकायत) किया ।

गंगानदी से आशीर्वाद पाने के लिए भगीरथ-जैसी भक्ति करो !

गंगा केवल नदी नहीं, श्रेष्ठतम तीर्थदेवी भी है । इसलिए, यह भारतवासियों के लिए प्राणों से अधिक प्रिय है । भक्तों के पाप धोने का कार्य ईश्‍वर ने इसे सौंपा है । गंगा व्यक्ति को स्नान से, तो नर्मदा केवल दर्शन से शुद्ध करती है ।

महर्षि अरविंद का भारतीय स्वतंत्रता के क्रांतिकार्य में सहयोग !

अलीपुर के सभागृह से मुक्त होने के पश्चात् कोलकात्ता के उत्तरपाडा में १० सहस्त्र श्रोताओं के सामने भाषण करते समय महर्षि अरविंद ने यह स्पष्ट किया कि,‘हम दैवी आदेशानुसार राष्ट्रकार्य करेंगे ।’

गोमाता का आध्यात्मिक महत्त्व, उसकी सेवा करने से लाभ और रक्षा करनेवालों को मिलनेवाला फल

हिन्दू धर्मशास्त्रों ने गाय, नदी और भारतभूमि को ‘देवी’ कहकर उन्हें माता का स्थान दिया है । इसलिए, प्रत्येक हिन्दू के लिए गोमाता पूजनीय है ।

भारत की सीमा की रक्षा करनेवाली जैसलमेर (राजस्थान) की श्री तनोटमाता

श्री तनोटमाता मंदिर, राजस्थान राज्य के जैसलमेर जनपद से १३० किलोमीटर दूर थार मरुस्थल (रेगिस्तान) में भारत-पाकिस्तान की सीमा पर स्थित है । भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय हुई अद्भुत घटनाओं के कारण यह मंदिर विख्यात है ।