कश्मीर का विविधांगी महत्त्व
प्राचीन काल से कश्मीर में उच्च संस्कृति का संरक्षण किया गया । विद्या-कला का उत्कर्ष यहां दो सहस्र वर्ष से चल रहा है ।
प्राचीन काल से कश्मीर में उच्च संस्कृति का संरक्षण किया गया । विद्या-कला का उत्कर्ष यहां दो सहस्र वर्ष से चल रहा है ।
भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान के शोधार्थियों के एक दल ने डायबिटीज को ठीक करने का आध्यात्मिक तरीका खोज निकाला है।
आज भी तुकाराम बीज के दिन नांदुरकी वृक्ष दोपहर को ठीक १२:०२ पर संत तुकाराम ने वैकुंठगमन के समय प्रत्यक्ष हिलता है और हजारों भक्तगण इसकी अनुभूति लेते हैं ।
क्रांतिकारी दामोदर हरि चापेकर द्वारा लिखे गए आत्मवृत्त का कारण यह था कि यह हत्या करने के लिए चापेकर कैसे प्रेरित हुआ, इसकी सच्चाई लिखने के लिए उन्हें कहा गया ।
लगभग प्रतिदिन अनेक मंदिरों में ले जाकर महर्षि हमसे भिन्न-भिन्न धार्मिक कृत्य करने के लिए कहते हैं तथा प्रार्थनाएं भी करवाते हैं । अनिष्ट शक्तियों के निवारणार्थ किए जानेवाले कृत्य देवालय में करने से इसमें होनेवाले अनिष्ट शक्तियों के आक्रमण से अपनेआप ही रक्षा होने में सहायता मिलना |
श्री महालक्ष्मीदेवी के मंदिर में आनेवाली कालानुरूप तारक-मारक तत्त्वों से सुसज्जित सूर्यकिरणें देवी के शक्तिरूपी कार्य से संबंधित हैं और उस काल में वायुमंडल को शुद्ध करती हैं । यह, एक प्रकार से वायुमंडल में रज-तम की प्रबलता दूर करने के लिए की गई प्राकृतिक व्यवस्था है ।
महाराष्ट्र में स्थित ‘नगर’ शहर के ‘ग्रामदेवता’ मालीवाडा के श्री सिद्धिविनायक का मंदिर विशाल और बहुत जागृत है । यह मंदिर २०० वर्ष पुराना है । ये, भक्तों की मनोकामना पूर्ण करनेवाले देवता के रूप में प्रसिद्ध हैं । यह मूर्ति साढे ग्यारह फुट ऊंची, पूर्वाभिमुखी और दाएं सूंड की है ।
गुरुमंत्र में केवल अक्षर ही नहीं; अपितु ज्ञान, चैतन्य एवं आशीर्वाद भी होते हैं, इसलिए प्रगति शीघ्र होती है । उस चैतन्ययुक्त नाम को सबीजमंत्र अथवा दिव्यमंत्र कहते हैं । उस बीज से फलप्राप्ति हेतु ही साधना करनी आवश्यक है ।
यदि हमें मनुष्य जन्म मिला है । इस जन्म का मुझे सार्थक करना है । आनंदमय जीवन यापन करना है । जीवन के प्रत्येक क्षण स्थिर रहना है, तो गुरु के बिना विकल्प नहीं है ।
काल की आवश्यकता समझकर राष्ट्र तथा धर्मरक्षा की शिक्षा देना, यह गुरु का वर्तमान कर्तव्य है । जिस प्रकार साधकों को साधना बताना गुरु का धर्म है, उसी प्रकार राष्ट्र एवं धर्म की रक्षा हेतु समाज को जागृत करना, यह भी गुरु का ही धर्म है ।