भूमिति में पाई की संख्या निर्धारित करनेवाले केरल के प्रसिद्ध गणिती माधवम् !
माधवम् को केरल विद्यालय के खगोलशास्त्र एवं प्राचीन गणितशास्त्र का संस्थापक माना जाता है ।
माधवम् को केरल विद्यालय के खगोलशास्त्र एवं प्राचीन गणितशास्त्र का संस्थापक माना जाता है ।
सावता माळी ‘कर्म करते रहना ही वास्तविक ईश्वरसेवा है’, इस प्रवृत्तिमार्गी सीख देनेवाले संत हैं ।
गुरुदेव डॉ. नारायणानंदनाथ काटेस्वामीजी उत्तरप्रदेश के महान संत धर्मसम्राट करपात्री स्वामीजी के शिष्य है ! गुरुदेव ने पुणे विद्यापीठ में ‘डॉक्टरेट’ की पदवी प्राप्त की थी । उन्होंने जीवन का अधिक समय हिमालय में व्यतीत किया ।
सनातन संस्था में ‘गुरु की ओर तत्त्व के रूप में देखें’ की शिक्षा दी जाती है । अतः साधक उसे मार्गदर्शन करनेवाले संतों की ओर अथवा अन्य सहसाधकों की ओर तत्त्व के रूप में देखता है
पुराने और नई जन्मतिथि के अनुसार संपूर्ण भविष्य में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं आता । तिथि के बदलने से केवल तिथि का फल बदलता है ।
सामान्यरूप से आजकल जन्मकुंडली के आधारपर ज्योतिषी जो बताते हैं, उसमें का केवल ३० से ३५ प्रतिशत भविष्यवाणी अचूक होती है ।
‘ज्योतिष’ शब्द ज्योति + ईश से बना है । ‘ज्योति’ का अर्थ ‘तेज’ तथा ‘ईश’ का अर्थ ‘ईश्वर’ अर्थात ‘ईश्वर के तेज से युक्त शास्त्र ज्योतिषशास्त्र है ।
शिष्य के जीवन के अज्ञानरूपी अंधकार को अपने ज्ञानरूपी तेज से नष्ट करनेवाले श्रीगुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिवस है गुरुपूर्णिमा !
श्रीमद्भगवद्गीता केवल एक ग्रंथ नहीं है, अपितु वह श्रेष्ठतम धर्मग्रंथ एवं ज्ञान का अनमोल भण्डार है । श्रीकृष्णजी द्वारा अर्जुन को द्वापरयुग में बताई गई श्रीमद्भगवद्गीता का ज्ञान कलियुग के मनुष्य के लिए भी अचूकता से लागू होता है ।