हिन्दु धर्मप्रसार हेतु जीवन का प्रत्येक पल व्यतीत करनेवाले नगर (महाराष्ट्र) के महायोगी गुरुदेव डॉ. काटेस्वामीजी !

गुरुदेव डॉ. नारायणानंदनाथ काटेस्वामीजी उत्तरप्रदेश के महान संत धर्मसम्राट करपात्री स्वामीजी के शिष्य है ! गुरुदेव ने पुणे विद्यापीठ में ‘डॉक्टरेट’ की पदवी प्राप्त की थी । उन्होंने जीवन का अधिक समय हिमालय में व्यतीत किया ।

कलियुग में विशेषतापूर्ण तथा साधकों से सभी अंगों से बनानेवाली सनातन संस्था की एकमात्रद्वितीय गुरु-शिष्य परंपरा !

सनातन संस्था में ‘गुरु की ओर तत्त्व के रूप में देखें’ की शिक्षा दी जाती है । अतः साधक उसे मार्गदर्शन करनेवाले संतों की ओर अथवा अन्य सहसाधकों की ओर तत्त्व के रूप में देखता है

ज्योतिष के बारे में सामान्य प्रश्न

पुराने और नई जन्मतिथि के अनुसार संपूर्ण भविष्य में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं आता । तिथि के बदलने से केवल तिथि का फल बदलता है ।

१०० प्रतिशत अचूक भविष्य के लिए स्त्री बीज फलित होने का समय ज्ञात होना आवश्यक !

सामान्यरूप से आजकल जन्मकुंडली के आधारपर ज्योतिषी जो बताते हैं, उसमें का केवल ३० से ३५ प्रतिशत भविष्यवाणी अचूक होती है ।

ज्योतिषशास्त्र – वेदों का अंग !

‘ज्योतिष’ शब्द ज्योति + ईश से बना है । ‘ज्योति’ का अर्थ ‘तेज’ तथा ‘ईश’ का अर्थ ‘ईश्वर’ अर्थात ‘ईश्वर के तेज से युक्त शास्त्र ज्योतिषशास्त्र है ।

संंत भक्तराज महाराज के इंदौर, मोरटक्का और कांदळी आश्रमों में स्थित छायाचित्रजन्य स्मृतियां !

शिष्य के जीवन के अज्ञानरूपी अंधकार को अपने ज्ञानरूपी तेज से नष्ट करनेवाले श्रीगुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिवस है गुरुपूर्णिमा !

रामायण एवं श्रीमद्भगवद्गीता इन ग्रंथों की आध्यात्मिक विशेषताएं !

श्रीमद्भगवद्गीता केवल एक ग्रंथ नहीं है, अपितु वह श्रेष्ठतम धर्मग्रंथ एवं ज्ञान का अनमोल भण्डार है । श्रीकृष्णजी द्वारा अर्जुन को द्वापरयुग में बताई गई श्रीमद्भगवद्गीता का ज्ञान कलियुग के मनुष्य के लिए भी अचूकता से लागू होता है ।