श्री शिकारीमाता के पुरातन मंदिर की छत का अनसुलझा रहस्य !

पांडवों ने अज्ञातवास में इसका निर्माण किया था । तब उन्होंने जानबूझकर इस मंदिर की छत नहीं बनाई और खुले आकाशतले मूर्ति की स्थापना की थी ।

घी अथवा तेल नहीं, अपितु पानी से जलते हैं मध्यप्रदेश के मंदिर में दीपक !

कालीसिंध नदी का पानी इस दीपक में डालने के पश्चात पानी पर तेलीय पदार्थ की परत तैयार हो जाती है और दीपक जल जाता है ।

मंदिर की फर्श पर लेटने से महिलाओं को होती है संतानप्राप्ति ! – देवीभक्तों की श्रद्धा

मंडी जिले के सिमस नामक गांव में सिमसा माता देवी का मंदिर है । यह देवी संतानहीन महिलाओं की मनोकामना पूर्ण करनेवाली होने से संतान दात्री नाम से विख्यात है ।

मनाली, हिमाचल प्रदेश मे श्रीराम के कुलगुरु श्री वसिष्ठ ऋषि का तपोस्थान !

वसिष्ठ ऋषि, विश्वामित्र ऋषि, भृगु ऋषि, अत्रि ऋषि, अगस्ति ऋषि, नारद मुनि इत्यादि की सीख और नाम युगों-युगों से चिरंतन हैं । इसका कारण है, ऋषि-मुनि सत्य बताते हैं, इसलिए काल उनके नाम और सीख को स्पर्श नहीं कर सकता है ।

प.प. वासुदेवानंद सरस्वती (टेंबे स्वामी) के गरुडेश्वर (जनपद नर्मदा, गुजरात) के समाधी मंदिर का छायाचित्रात्मक दर्शन

प.पू. श्री. टेंबे स्वामी महाराज संन्यासधर्म के आदर्श आचार्य थे । प्रत्यक्ष भगवान दत्तात्रेय प्रभु ही उनके रूप में अवतारित हुए हैं तथा उन्होंने श्रीदत्त संप्रदाय को ठीक प्रकार से जतन किया है ।

आळंदी

ज्ञानेश्वर की पालखी आळंदी से पंढरपुर जाने के लिए जिस क्षण उठाई जाती है, उस क्षण आळंदी में ज्ञानेश्वर की समाधी मंदिर का कलश हिलता है और उसी समय अजानवृक्ष की शाखा उसी ओर झुक जाती हैं ।

एक रात में दिशा बदलनेवाला बिहार स्थित सूर्यमंदिर !

देश के अन्य सभी सूर्यमंदिर पूर्वाभिमुख हैं; केवल यही एकमेव सूर्यमंदिर पश्चिमाभिमुख है । कहा जाता है कि १०० फुट ऊंचा यह सूर्यमंदिर सहस्रों वर्ष पुरातन है ।

उत्तराखंड में कसारदेवी मंदिर के क्षेत्र की भू-गर्भीय तरंगों का नासा द्वारा संशोधन !

अल्मोडा (उत्तराखंड) इस जिले में कसारदेवी मंदिर की शक्ति के कारण विज्ञानवादी चकित हो गए हैं ।

हडप्पा के लोग थे द्रव-चलित अभियांत्रिकी (हाइड्रोलिक इंजीनियरिंग) पारंगत !

भारतीय शोधकर्ताओं ने हडप्पा सभ्यता से जुडे प्रमुख स्थल धोलावीरा में रडार तकनीक से भूमि के नीचे छिपी अनेक पुरातात्विक विशेषताओं का पता लगाया है, जो यह संकेत करती हैं कि हडप्पा के लोगों को हाइड्रोलिक इंजीनियरिंग में महारत प्राप्त थी !

वारों का क्रम ‘सोमवार से रविवार’ क्यों ?

‘वार यह शब्द ‘होरा’ शब्द से बना है । होरा अर्थात ‘अहोरात्र ।’ इसका अर्थ है ‘सूर्योदय से अगले दिन के सूर्योदय तक !’ होरा अर्थात घंटा ।