‘राम से बडा राम का नाम’ उक्ति सार्थ करनेवाले भक्तशिरोमणि हनुमान !
‘जो कोई प्रभु श्रीराम का स्मरण करेगा, उसकी सुरक्षा हनुमानजी करेंगे और उस व्यक्ति का कोई भी अहित नहीं कर सकेगा’, ऐसा वर हनुमानजी ने मांगा ।
‘जो कोई प्रभु श्रीराम का स्मरण करेगा, उसकी सुरक्षा हनुमानजी करेंगे और उस व्यक्ति का कोई भी अहित नहीं कर सकेगा’, ऐसा वर हनुमानजी ने मांगा ।
गुरु ही हमारे हृदय में वास कर हमारा प्रतिपालन करते हैं, हमारा हाथ पकडकर हमें साधनापथ पर आगे-आगे ले जाते हैं और हमारे कल्याण के लिए सर्व करते हैं । तो हमें किस बात का अभिमान है ?
गुरु द्वारा कोई सेवा बताई जाने पर वह करना, यह मात्र चाकर (नौकर) अथवा दूत समान हुआ; परंतु गुरु को जो अभिप्रेत है (अर्थात ‘श्री’ गुरु की इच्छा जानकर), वह करना सद्शिष्य का लक्षण है ।
‘इंडोनेशिया एक द्वीपसमूह और मुसलमानबहुल राष्ट्र है, तब भी यहां पर महान हिन्दू संस्कृति की जडें गहरी पाईं गईं हैं ।
धायरी गांव में स्थित धारेश्वरजी का मंदिर के दर्शन का अनुपम आनंद है । गर्भगृह में स्वयंभू प्रसन्न शिवलिंग को देखते ही हाथ अपनेआप जुड जाते हैं । चैत्र वद्य चतुर्थी को श्री धारेश्वर में बडा मेला लगता है ।
सिंधुदुर्ग जिले के देवगड तालुका में श्रीक्षेत्र कुणकेश्वर को कोकण की काशी संबोधित करते हैं । काशी में १०८ शिवलिंग हैं, तो कुणकेश्वर में १०७ शिवलिंग हैं । कोकण के अन्य प्रसिद्ध भगवान शंकर के स्थानों में इसकी गणना होती है ।
हमारे दक्षिण-पूर्व राष्ट्रों के दौरे पर जानकारी मिली की इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप पर कपूर के वृक्ष हैं और उससे शुद्ध भीमसेनी कपूर मिलता है ।
प्राचीन काल में नैनातीवू को नागद्वीप नाम से पहचाना जाता था । यहां शक्तिपीठ के स्थान पर देवी का एक मंदिर है । उस देवी का नाम नागपुषाणी देवी है ।
कालिदास प्राचीन भारत के एक संस्कृत नाटककार एवं कवि थे । ‘मेघदूत’, ‘रघुवंशम्’, ‘कुमारसंभवम्’ इत्यादि संस्कृत महाकाव्यों के कर्ता इस नाम से वे विख्यात थे ।
भारत के दक्षिण-पूर्वी छोर पर हिन्दुओं का एक पवित्र तीर्थक्षेत्र है धनुषकोडी ! यह स्थान पवित्र रामसेतु का उगमस्थान है । गत ५० वषों से हिन्दुओं केे इस पवित्र तीर्थस्थान की स्थिति एक उद्ध्वस्त नगर के समान हो गई है । २२ दिसंबर १९६४ को यह नगर एक चक्रवात में उद्ध्वस्त हुआ था ।