भावशक्ति के बल पर विदेश में धर्मजागृति का महान कार्य सफलतापूर्वक करनेवाले स्वामी विवेकानंद !
स्वामी विवेकानंद जब धर्मप्रसार के लिए, अर्थात् सनातन हिन्दू धर्म का तेज विदेशों में फैलाने के उद्देश्य से सर्वधर्म सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारत के प्रतिनिधि के रूप में शिकागो (अमेरिका) गए थे, तब उन्होंने उस धर्मसम्मेलन में श्रोताओं के मन जीतकर वहां ‘न भूतो न भविष्यति !’ ऐसा विलक्षण प्रभाव उत्पन्न किया ।