अंतर्सामाजिक तनाव को किसप्रकार कम किया जा सकता है ?

समाज यदि सात्त्विक बने तो समाज में अंतर्गत तनाव दूर होना संभव है । हम कितना भी प्रयास करें पर अन्यों के कर्म तथा मानसिकता में बदलाव करना हमारे लिए संभव नहीं होता है । इस कारण ही रामराज्य जैसे हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करनी आवश्यक है ।

श्रीरामजन्मभूमि हिन्दुओं को पुनः दिलाने में जगद्गुरु रामभद्राचार्य का योगदान

जगद्गुरु रामभद्राचार्य का मूल नाम गिरिधर मिश्र है । इनका जन्म १४ जनवरी १९५० को जौनपुर जनपद (उत्तर प्रदेश) के सांडीखुर्द गांव में हुआ है ।

संत जनाबाई

संत जनाबाईने ‘काम में राम’ को ढूंढा । उन्होंने अपने प्रत्येक कार्य के साथ ईश्वर को जोडा इसलिए उन्हें लगता था कि मेरे कार्य मैं नहीं, अपितु ईश्वर स्वयं ही कर रहे हैं ।

कुछ ईश्‍वर को मानते हैं और कुछ नहीं, ऐसा क्यों ?

जिसे आप विज्ञान समझते हैं, वह केवल भौतिक विज्ञान है । भारतीय ज्ञान का एक छोटा-सा भाग है विज्ञान ! भौतिक विज्ञान अर्थात सायंस जिस भारतीय विज्ञान का एक हिस्सा है । वह विज्ञान भी अध्यात्म (ज्ञान) का एक हिस्सा है ।

हिन्‍दू धर्म सभी को जोडता है, तो ‘रेलीजन’ एक-दूसरे से संबंध तोडता है !

भारत के ऋषि, चिंतक तथा तपस्‍वियों ने ऐसे शाश्‍वत सिद्धांत दिए, जिसमें उपर्युक्‍त चारों सत्ताओं में सामंजस्‍य बना रहता है । एक-दूसरे को सहयोग करते हुए समस्‍त विविधताओं की रक्षा करते हुए ये सत्ताएं पूर्ण विकास की दिशा में अग्रसर होती थीं ।

हनुमानजी को घर में नहीं, अपितु घर के बाहर रखना है, क्या यह सही है ?

हनुमानजी को घर में नहीं रखना, भगवान श्रीकृष्ण का महाभारत का चित्र घर में नहीं रखना, सुदर्शन चक्रवाला चित्र घर में नहीं रखना, यह सब अंधविश्वास की बातें हैं ।

शनि की साढेसाती दूर करने के लिए हनुमानकी पूजा कैसे करनी चाहिए ?

सूर्य तेज से संबंधित है, जबकि हनुमानजी वायुतत्त्व से संबंधित हैं । पृथ्वी, आप, तेज, वायु और आकाश, इन पंचतत्त्वों में तेजतत्त्व से वायुतत्त्व अधिक प्रभावी माना गया है । इस कारण शनि के साढेसाती का परिणाम हनुमानजी पर नहीं होेता ।

कलियुग के दोष नष्ट करने के लिए तपस्या करनेेवाले ऋषिगणों के विघ्न हरण करनेवाला इडगुंजी (कर्नाटक) का श्री महागणपति !

इडगुंजी मंदिर की मुख्य मूर्ति भी चौथी अथवा पांचवीं शताब्दी की है । यह द्विभुजा श्री गणेशमूर्ति पाषाण पर खडी है ।

हनुमानजी द्वारा लंकादहन

हनुमानजी लंका जलाने के लिए जब स्वयं को अपराधी मान रहे थे, उसी समय हनुमानजी को दिव्य वाणी सुनाई दी – राक्षसों की लंका जल गई, पर सीता पर कोई आंच नहीं आई । तब हनुमानजी ने अपना मनोरथ पूर्ण समझा ।

रुद्रावतार हनुमानजी

हनुमानजी को ग्यारहवां रुद्र माना जाता है । इसी कारण समर्थ रामदासजीने हनुमानजीको ‘भीमरूपी महारुद्र’ संबोधित किया है । हनुमानजी की पंचमुखी मूर्ति रुद्रशिव के पंचमुखी प्रभाव से निर्माण हुई है ।