श्रीविष्णुजी के दिव्य शरीरपर विद्यमान ‘श्रीवत्स’ चिन्ह

‘महर्षि व्यासजी ने श्रीमद्भागवत में लिखा है, ‘‘वैकुंठ में सभी लेग श्रीविष्णुजी की भांति दिखते हैं । केवल एक ही बात ऐसी है कि केवल श्रीविष्णुजी के शरीरपर ही ‘श्रीवत्स’ चिन्ह है ।

दुष्टों के निर्दालन के लिए ब्राह्म तथा क्षात्र तेज का उत्तम उपयोग करनेवाले योद्धावतार भगवान परशुराम ! 

सत्ययुग में मत्स्य, कूर्म, वराह, नृसिंह तथा वामन ये श्रीविष्णु के ५ अवतार हुए । त्रेतायुग के प्रारंभ में महर्षि भृगु के गोत्र में जामदग्नेय कुल में महर्षि जमदग्नी तथा रेणुकामाता के घर श्रीविष्णु ने अपना छठा अवतार लिया ।

श्रीविष्णु

ईश्‍वरने प्रजापति, ब्रह्मा, शिव, विष्णु एवं मीनाक्षी, इन पांच देवताओंसे (तत्त्वोंसे) विश्‍वकी निर्मिति की । इन पांच देवताओंमें ईश्‍वरकी सर्व विशेषताएं हैं । श्रीविष्णुकी विशेषताएं आगे दिए अनुसार हैं ।