प्रभु श्रीराम का जन्म होने के पीछे अनेक उद्देश्य होना !
वाल्मीकि-रामायण के उत्तरकांड के ९१ वें सर्ग की कथा में आया है, ‘प्राचीन काल की बात है । एक बार देवासुर-संग्राम में देवताओं से पीडित दैत्यों ने महर्षि भृगु की पत्नी से आश्रय मांगा । भृगुपत्नी ने उन्हें आश्रय दिया और वे दैत्य उनके आश्रम में निर्भयता से रहने लगे ।