अर्धनारीश्वर शिवलिंग : शिवलिंग के दोनों भागों के बीच अपनेआप घटती-बढती हैं दूरियां

इसे विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर माना जाता है, जहां शिवलिंग दो भागों में बंटा हुअा है। मां पार्वती और भगवान शिवजी के दो विभिन्न रूपों में बंटे शिवलिंग में ग्रहों और नक्षत्रों के परिवर्तन के अनुसार इनके दोनों भागों के मध्य का अंतर घटता-बढता रहता है।

रुद्राक्ष

असली एवं नकली रुद्राक्षकी विशेषताआेंको समझने हेतु रुद्राक्षके लाभ, असली एवं नकली रुद्राक्षकी विशेषताएं तथा अंतर आदिके बारेंमें प्रस्तूत लेखद्वारा अवगत कराया गया है।

शिव पूजा की उपासना पद्धतियां

शिव पूजा में सबसे महत्त्वपूर्ण तथा शिवजीको प्रिय घटक है बिल्वपत्र । शिव पूजा कैसे करें ? शिवपिंडी की परिक्रमा कैसे करें ?

शिवपूजन में भस्म धारण का महत्व

यज्ञमें अर्पित समिधा एवं घीकी आहुतिके जलनेके उपरांत शेष बची पवित्र रक्षाको ‘भस्म’ कहते हैं । भस्मको विभूति एवं राख, इन नामोंसे भी जाना जाता है ।

शिवपिंडीकी विशेषताएं एवं कार्य

शिवजीसे प्रक्षेपित शक्तिशाली सात्त्विक तरंगें सर्वप्रथम नंदीकी ओर आकृष्ट होती हैं, तदुपरांत वातावरणमें प्रक्षेपित होती हैं । शिवपिंडीसे चैतन्यके वलयोंका पूरे शिवालयमें प्रक्षेपण होता रहता है ।

शृंगदर्शनकी पद्धति

शिवजीमें पवित्रता, ज्ञान एवं साधना, ये तीनों गुण परिपूर्णतः विद्यमान हैं । इसलिए उन्हें ‘देवोंके देव’, अर्थात ‘महादेव’ कहते हैं ।

ॐ नम: शिवाय

१. शिवजी के नामजप का महत्त्व     ‘नमः शिवाय ।’ यह शिवजी का पंचाक्षरी नामजप है । इस मंत्र का प्रत्येक अक्षर शिव की विशेषताओंका निदर्शक है । जहां गुण हैं वहां सगुण साकार रूप है । ‘नमः शिवाय ।’ इस पंचाक्षरी नामजप को निर्गुण ब्रह्म का निदर्शक ‘ॐ’कार जोडकर ‘ॐ नमः शिवाय’ यह … Read more