दत्तके कार्य एवं विशेषताएं
भगवान दत्तात्रेय गुरुतत्त्वका कार्य करते हैं, इसलिए जबतक सभी लोग मोक्ष प्राप्त नहीं कर लेते, तबतक दत्त देवताका कार्य चलता ही रहेगा । भगवान दत्तात्रेयने प्रमुखरूपसे कुल सोलह अवतार धारण किए ।
भगवान दत्तात्रेय गुरुतत्त्वका कार्य करते हैं, इसलिए जबतक सभी लोग मोक्ष प्राप्त नहीं कर लेते, तबतक दत्त देवताका कार्य चलता ही रहेगा । भगवान दत्तात्रेयने प्रमुखरूपसे कुल सोलह अवतार धारण किए ।
दत्तात्रेयके चित्रमें विद्यमान ४ श्वान चार वेदोंके प्रतीक होनेके कारण उनके स्थानपर आगे दिए अनुसार चार विविध रंगोंके वलय दिखाई दिए ।
सात्त्विक अक्षरोंमें चैतन्य होता है । सात्त्विक अक्षर और उनके चारों ओर निर्मित देवतातत्त्वके अनुरूप चौखटसे युक्त संबंधित देवताके नामजपकी पट्टियां सनातन बनाता है ।
असली एवं नकली रुद्राक्षकी विशेषताआेंको समझने हेतु रुद्राक्षके लाभ, असली एवं नकली रुद्राक्षकी विशेषताएं तथा अंतर आदिके बारेंमें प्रस्तूत लेखद्वारा अवगत कराया गया है।
प्रभु श्रीराम की जीवन हम सभी को हर स्थिति में कैसे रहना है, इसका संदेश देती है । प्रभु श्रीराम स्वयं भगवान विष्णु के अवतार थे ।
देवताको विशिष्ट वस्तु अर्पित की जाती है, जैसे हनुमानजीको तेल, सिंदूर एवं मदारके फूल तथा पत्ते । इन वस्तुओंमें हनुमानजीके महालोकतकके देवताके सूक्ष्मातिसूक्ष्म कण, जिन्हें पवित्रक कहते हैं, उन्हें आकृष्ट करनेकी क्षमता होती है ।
हनुमानजीकी उपासना करनेसे शनिकी पीडाका निवारण होता है । हनुमानजीका नामजप करनेसे अनिष्ट शक्तिसे पीडित किसी व्यक्तिको विविध शारीरिक तथा मानसिक कष्ट होते हों, तो उनका निवारण होता है ।
अधिकांशत: हनुमानजीका वर्ण लाल एवं कभी-कभी काला भी होता है । मारुतिके विविध रूप हैं । जैसे दासमारुति, वीरमारुति, पंचमुखी मारुति पंचमुखी मारुतिकी मूर्ति बडे आकारकी होती है ।
श्री अर्थात शक्ति, सौंदर्य, सद्गुण इत्यादि, लंका विजयके पश्चात्, राम जब सीतासहित अयोध्यानगरी लौटे, तब सर्व अयोध्यावासी उन्हें ‘श्रीराम’ के नामसे संबोधित करने लगे । श्रीरामजी राजधर्मका पालन करनेमें तत्पर थे ।