भक्ति के सुंदर उदाहरण वाला जनाबाई के जीवन का प्रसंग
जनाबाई जैसे भक्त बनने के लिए उनकी ही तरह हर काम में, हर प्रसंग में ईश्वर को अपने साथ अनुभव करना, उनसे हर प्रसंग का आत्मनिवेदन करते रहना, उनको ही अपना सब मानकर अपनी सब बातें बताना आवश्यक है ।
जनाबाई जैसे भक्त बनने के लिए उनकी ही तरह हर काम में, हर प्रसंग में ईश्वर को अपने साथ अनुभव करना, उनसे हर प्रसंग का आत्मनिवेदन करते रहना, उनको ही अपना सब मानकर अपनी सब बातें बताना आवश्यक है ।
संत जनाबाईने ‘काम में राम’ को ढूंढा । उन्होंने अपने प्रत्येक कार्य के साथ ईश्वर को जोडा इसलिए उन्हें लगता था कि मेरे कार्य मैं नहीं, अपितु ईश्वर स्वयं ही कर रहे हैं ।
जनाबाई स्वयं को ‘नामदेवजी की दासी’ कहलवाती थीं । विठ्ठलचरणी संपूर्ण जीवन समर्पित की हुईं जनाबाई ने देहभान भूलकर दिन-रात संत नामदेवजी के घर में सेवा की ।