समर्थ रामदास स्वामी का प्रवृत्तिवाद के विषय में मार्गदर्शन
मनुष्य पहले अपना व्यवहार भली-भांति करे और फिर परमार्थ का विचार करे । हे विवेकी जन ! इसमें आलस न करना । प्रपंच को अनदेखा कर यदि तुम परमार्थ साधने का प्रयत्न करोगे, तो तुम्हें कष्ट होगा । यदि तुम प्रपंच और परमार्थ दोनों ठीक से करोगे, तब तुम विवेकी कहलाओगे ।