भूमिति में पाई की संख्या निर्धारित करनेवाले केरल के प्रसिद्ध गणिती माधवम् !
माधवम् को केरल विद्यालय के खगोलशास्त्र एवं प्राचीन गणितशास्त्र का संस्थापक माना जाता है ।
माधवम् को केरल विद्यालय के खगोलशास्त्र एवं प्राचीन गणितशास्त्र का संस्थापक माना जाता है ।
सावता माळी ‘कर्म करते रहना ही वास्तविक ईश्वरसेवा है’, इस प्रवृत्तिमार्गी सीख देनेवाले संत हैं ।
गुरुदेव डॉ. नारायणानंदनाथ काटेस्वामीजी उत्तरप्रदेश के महान संत धर्मसम्राट करपात्री स्वामीजी के शिष्य है ! गुरुदेव ने पुणे विद्यापीठ में ‘डॉक्टरेट’ की पदवी प्राप्त की थी । उन्होंने जीवन का अधिक समय हिमालय में व्यतीत किया ।
शिष्य के जीवन के अज्ञानरूपी अंधकार को अपने ज्ञानरूपी तेज से नष्ट करनेवाले श्रीगुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिवस है गुरुपूर्णिमा !
माघ कृष्ण पक्ष नवमी को ‘रामदासनवमी’ पडती है ! रामदासस्वामी ने अपने जीवनकाल में अनेक अवसरों पर उपदेश किया था । वे केवल उपदेश नहीं करते थे, जीवों का उद्धार भी करते थे । रामदासनवमी के उपलक्ष्य में ऐसी ही एक घटना के विषय में आज हम जाननेवाले हैं ।
इनमें से मध्य प्रदेश के प.पू. भुरानंदबाबा सनातन के प्रेेरणास्रोत संत भक्तराज महाराज के गुरुबंधु हैं । प.पू. भुरानंदबाबा का पारिवारिक जीवन, बचपन, गृहत्याग, गुरुभेंट, साधकों को इस संदर्भ में प्राप्त अनुभूतियां तथा उनके देहत्याग के विषय में आज उनके निर्वाणोत्सव के उपलक्ष्य में जान लेते हैं
पू. वसंतराव जोशी को बचपन से ही साधना में रूचि थी । वे ब्रह्मचारी थे । वे सदैव साधना के लिए घर से पहाडीपर भाग जाते थे ।
आज भी तुकाराम बीज के दिन नांदुरकी वृक्ष दोपहर को ठीक १२:०२ पर संत तुकाराम ने वैकुंठगमन के समय प्रत्यक्ष हिलता है और हजारों भक्तगण इसकी अनुभूति लेते हैं ।
धर्म होगा, तो ही राष्ट्र्र में सुख, शांति होती है । धर्म यह आचरण का विषय है । स्वास्थ्य के नियम न मानने पर शरीर में रोग निर्माण होते है । धर्म न मानने पर समाज में भ्रष्टाचार, अनैतिकता, अपराध इत्यादि रोग निर्माण होते है ।
संत ज्ञानेश्वर महाराजजी द्वारा रचित ज्ञानेश्वरी के कुछ अनमोल ज्ञानमोती इस लेख में प्रसिद्ध कर रहे हैं !