संत मीरा बाई
संत मीरा बाई ने बताया है कि श्रीकृष्ण के प्रति अटूट आस्था के कारण, उनपर दृढ श्रद्धा के कारण उन्होंने अपने जीवन के कठिन से कठिन प्रसंग भी पार किए हैं ।
संत मीरा बाई ने बताया है कि श्रीकृष्ण के प्रति अटूट आस्था के कारण, उनपर दृढ श्रद्धा के कारण उन्होंने अपने जीवन के कठिन से कठिन प्रसंग भी पार किए हैं ।
गुरुआज्ञा मानकर ही तो संत सूरदास जी ने अपने को कृष्ण भक्ति में ऐसा डुबो दिया था कि आज भी उनके समान दूसरे भक्त कवि नहीं हुए ।
जगद्गुरु रामभद्राचार्य का मूल नाम गिरिधर मिश्र है । इनका जन्म १४ जनवरी १९५० को जौनपुर जनपद (उत्तर प्रदेश) के सांडीखुर्द गांव में हुआ है ।
संत जनाबाईने ‘काम में राम’ को ढूंढा । उन्होंने अपने प्रत्येक कार्य के साथ ईश्वर को जोडा इसलिए उन्हें लगता था कि मेरे कार्य मैं नहीं, अपितु ईश्वर स्वयं ही कर रहे हैं ।
स्वामी विवेकानंद जब धर्मप्रसार के लिए, अर्थात् सनातन हिन्दू धर्म का तेज विदेशों में फैलाने के उद्देश्य से सर्वधर्म सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारत के प्रतिनिधि के रूप में शिकागो (अमेरिका) गए थे, तब उन्होंने उस धर्मसम्मेलन में श्रोताओं के मन जीतकर वहां ‘न भूतो न भविष्यति !’ ऐसा विलक्षण प्रभाव उत्पन्न किया ।
कबीर ने बताया, २५ वर्षों से मैं योगसाधना के बल पर हिमालय में गया था । वहां दो भाई तपश्चर्या कर रहे थे । उन्होंने मुझसे ब्रह्मज्ञान की मांग की ।
‘संत रविदासजी चमडे का काम करते थे । वे अपना काम ईश्वरपूजा समझ कर मनःपूर्वक और प्रमाणिकता से करते थे ।
कालिदास प्राचीन भारत के एक संस्कृत नाटककार एवं कवि थे । ‘मेघदूत’, ‘रघुवंशम्’, ‘कुमारसंभवम्’ इत्यादि संस्कृत महाकाव्यों के कर्ता इस नाम से वे विख्यात थे ।
पश्चात, मुगलों ने बाबा बंदा बहादुरजी को अनेक प्रकार के प्रलोभन दिखाए, जिससे वे सिख धर्म छोडकर इस्लाम धर्म अपनाएं । परंतु, बाबा बंदा बहादुरजी अपना धर्म छोडने के लिए तैयार नहीं हुए ।
वसिष्ठ ऋषि, विश्वामित्र ऋषि, भृगु ऋषि, अत्रि ऋषि, अगस्ति ऋषि, नारद मुनि इत्यादि की सीख और नाम युगों-युगों से चिरंतन हैं । इसका कारण है, ऋषि-मुनि सत्य बताते हैं, इसलिए काल उनके नाम और सीख को स्पर्श नहीं कर सकता है ।