श्रीलंका का नगर नुवारा एलिया में राम-रावण युद्ध का साक्षी रामबोडा तथा रावणबोडा पर्वत तथा एक संत द्वारा स्थापित गायत्रीपीठ आश्रम !

रामायण में जिस भूभाग को लंका अथवा लंकापुरी कहा गया है, वह स्थान है आज का श्रीलंका देश ! त्रेतायुग में श्रीमहाविष्णुजी ने श्रीरामावतार धारण किया तथा लंकापुरी जाकर रावणादि असुरों का नाश किया । वाल्मिकी रामायण में महर्षि वाल्मिकी ने जो लिखा, उसीके अनुरूप घटनाएं घटने के अनेक प्रमाण श्रीलंका में मिलते हैं ।

परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी की कृपा से हो रहा अध्यात्म और सनातन संस्कृति का विश्‍वव्यापी पसार !

विज्ञान नहीं, अपितु अध्यात्म ही मानव की खरी उन्नति कर सकता है और उसे आनंद और शांति दे सकता है । महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय द्वारा किए जा रहे अध्यात्म के प्रसार का परिचय करवाने और अन्यों को इसमें सम्मिलित करने के लिए हमारी यात्रा चल रही है ।

इंडोनेशिया में पग-पग पर दिखाई देनेवाले प्राचीन हिन्दू संस्कृति के अवशेष

एक समय जहां समुद्रमंथन हुआ था, वह भूभाग आज का इण्डोनेशिया है ! १५ वीं शताब्दी तक इण्डोनेशिया में श्रीविजय, मातरम्, शैलेंद्र, संजया, मजपाहित जैसे हिन्दू राजाओं का राज्य था । पश्‍चात, मुसलमानों के आक्रमण से वहां की भाषा और संस्कृति में परिवर्तन हुआ ।

वर्तमान बौद्ध राष्ट्र होते हुए भी भगवान श्रीविष्णु पर श्रद्धा दर्शानेवाले महाभारत और रामायण की घटनाआें पर आधारित कंबोडिया का पारंपरिक ‘अप्सरा नृत्य’ !

कंबोडिया ‘बौद्ध’ राष्ट्र होते हुए भी वहां के लोगों की भगवान श्रीविष्णु और भगवान शिव पर श्रद्धा है । कंबोडिया के लोग मानते है कि भगवान श्रीविष्णु उनके रक्षक हैं । इससे यह ध्यान में आया कि उन्हें गरुड, वासुकी, समुद्रमंथन, सुमेरू पर्वत, रामायण, महाभारत आदि हिन्दू धर्म से संबंधित नाम और उनका महत्त्व उन्हें ज्ञात है ।

सप्तलोक की संकल्पना पर आधारित और प्रगत स्थापत्य शास्त्र का नमुना : इंडोनेशिया का प्रंबनन् अर्थात परब्रह्म मंदिर !

१५ वीं शताब्दी तक इंडोनेशिया में हिन्दू राजाआें का राज्य था । किसी समय विश्‍वभर में फैली हिन्दू संस्कृति के अध्ययन के लिए महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय की ओर से सद्गुरु(श्रीमती) अंजली गाडगीळ सहित ४ विद्यार्थी साधक इंडोनेशिया की यात्रा पर थे ।

रावणवध के पश्‍चात ब्रह्महत्या का लगा पाप दूर हो, इसके लिए श्रीरामजी द्वारा पूजित श्रीलंका के नगुलेश्‍वरम् मंदिर का शिवलिंग !

श्रीलंका के हिन्दू अधिकांश उत्तरी श्रीलंका में रहते हैं । इनमें से अधिकांश हिन्दू तमिल भाषी हैं । उत्तरी श्रीलंका का हिन्दू संस्कृति से संबंधित महत्त्वपूर्ण नगर है जाफना ! इस नगर से ३० कि.मी. दूरीपर कीरीमैला नामक एक छोटा गांव है । यह गाव समुद्र क तटपर बंसा है ।

दक्षिण कैलास कहा जानेवाला श्रीलंका का तिरुकोनेश्‍वरम् मंदिर

रावणासुर के संहार के पश्‍चात श्रीराम पुष्पक विमान से अयोध्या लौट रहे थे, तब उनके विमान के पीछे एक काला बादल आ रहा है, ऐसा उनके ध्यान में आता है । तब शिवजी प्रकट होकर श्रीराम से कहते हैं, यह काला बादल आपको ब्रह्महत्या के कारण लगे पाप का प्रतीक है ।

श्रीलंका में बढता हुआ बौद्ध पंथ का प्रभाव तथा भारत के शत्रुराष्ट्रों से निकटता रखनेवाला श्रीलंका !

बौद्ध पंथ एक उपासनापद्धति है तथा वह विशाल हिन्दू धर्म का ही एक अंग है, ऐसा भारतियों का दृष्टिकोण है; परंतु श्रीलंका में बौद्ध पंथ के लोग बहुसंख्यक होने के पश्‍चात जिहादियों की भांति हिन्दू धर्मपर ही आक्रमण कर रहे हैं ।

रामायणकाल का इतिहास प्राप्त तथा आज के दिन बौद्धों के प्रभाववाला कदरगामा (श्रीलंका) का कार्तिकेय स्वामी का जागृत मंदिर !

अधिकांश तमिल भाषियों की कुलदेवता कार्तिकेय स्वामी हैं । तमिलनाडू में कार्तिकेय स्वामी के ६ स्थान विख्यात हैं । उसके पश्‍चात भारत के बाहर का कार्तिकेय स्वामी का सबसे विख्यात तथा जागृत मंदिर है श्रीलंका के कदरगामा में ! ‘कदरगामा’ एक बौद्ध नाम है ।