सीतामाता के वास्तव्य से पावन हुई श्रीलंका का ‘सीता कोटुवा’ !
रामायण में जिस भूभाग को लंका अथवा लंकापुरी कहते हैं, वह स्थान आज का श्रीलंका देश है । त्रेतायुग में श्रीमहाविष्णु ने श्रीरामावतार धारण किया एवं लंकापुरी में जाकर रावणादि असुरों का नाश किया । युगों-युगों से इस स्थान पर हिन्दू संस्कृति ही थी । २ सहस्र ३०० वर्षों पूर्व राजा अशोक की कन्या संघमित्रा के कारण श्रीलंका में बौद्ध पंथ आया । अब वहां के ७० प्रतिशत लोग बौद्ध हैं ।