गुरुकुल शिक्षापद्धति
आजतक आपने अनेक बार भारत की प्राचीन गुरुकुल शिक्षापद्धति के विषय में सुना होगा । इस पद्धति की शिक्षा के विषय में हमें इतना ही पता होता है कि इसमें गुरु के घर जाकर अध्ययन करना पडता है ।
आजतक आपने अनेक बार भारत की प्राचीन गुरुकुल शिक्षापद्धति के विषय में सुना होगा । इस पद्धति की शिक्षा के विषय में हमें इतना ही पता होता है कि इसमें गुरु के घर जाकर अध्ययन करना पडता है ।
विद्यापीठ’ का विचार सर्वप्रथम भारत ने ही जगत को दिया । आज वही भारत पश्चिमी मैकॉले की निरुपयोगी शिक्षापद्धति के चंगुल में जकडे हुआ है । यह देखकर, प्रत्येक भारतीय मन अस्वस्थ हो जाता है । प्राचीन भारतीय शिक्षापद्धति को वास्तविक अर्थों में गतवैभव प्राप्त करवाना हो, तो हिन्दू राष्ट्र का कोई विकल्प नहीं !
प्राचीनकाल में हमारे देश में वैदिक शिक्षणपद्धति थी । इसलिए, उस समय भारत सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र था । कहा जाता है कि तब यह देश इतना समृद्ध था कि यहां की भूमि से सोने का धुआं निकलता था । इस वैदिक शिक्षापद्धति की नींव आध्यात्मिक थी ।
पहले उपनयन संस्कार के पश्चात बच्चों को शिक्षा लेने के लिए गुरुकुल भेजा जाता था । गुरुकुल में बच्चों को पहले अध्यात्म की शिक्षा दी जाती थी । तत्पश्चात उनकी रुचि तथा योग्यता के अनुसार उनको कुल ६४ कलाआें में से २-३ कलाआें की शिक्षा दी जाती थी ।