मयूरेशस्तोत्रम्
यह स्तोत्र साक्षात् ब्रह्माजी ने ही कहा है । इसकी फलश्रुति का वर्णन गणेश भगवान ने इसप्रकार किया है – ‘इससे कारागृह के निरपराध कैदी ७ दिनों में मुक्त हो जाते हैं । स्तोत्र भावपूर्ण कहने से फलनिष्पति मिलती है ।
यह स्तोत्र साक्षात् ब्रह्माजी ने ही कहा है । इसकी फलश्रुति का वर्णन गणेश भगवान ने इसप्रकार किया है – ‘इससे कारागृह के निरपराध कैदी ७ दिनों में मुक्त हो जाते हैं । स्तोत्र भावपूर्ण कहने से फलनिष्पति मिलती है ।
‘गणपति अथर्वशीर्ष’ यह श्री गणेश का दूसरा सर्वपरिचित स्तोत्र है । ‘अथर्वशीर्ष’ का ‘थर्व’ अर्थात ‘उष्ण.’ अथर्व अर्थात शांति’ एवं ‘शीर्ष’ अर्थात ‘मस्तक’ । जिसके पुरश्चरण से शांति मिलती है, वह है ‘अथर्वशीर्ष’ ।
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता तुमको निस दिन सेवत, मैयाजीको निस दिन सेवत हर विष्णु विधाता …
पुणे के महान संत प.पू. आबा उपाध्ये के माध्यम से साढे तीन सहस्र वर्ष पूर्व के महायोगी श्री सद्गुरु सदानंदस्वामी बोलते हैं और वे इस गुरुवाणी के माध्यम से भक्तों को समय-समय पर संदेश भी देते रहते हैं ।
जीवन के दुःखों का धीरज से सामना करने का बल एवं सर्वोच्च श्रेणी का स्थायी आनंद केवल साधनाद्वारा ही प्राप्त होता है । साधना अर्थात् ईश्वरप्राप्ति हेतु आवश्यक प्रयत्न ।