स्वभावपर औषधि है स्वभावदोष निर्मूलन प्रक्रिया ! – श्रीमती धनश्री केळशीकर, सनातन संस्था
कलियुग में स्वभावदोष निर्मूलन प्रक्रिया अपनाए बिना आनंदमय जीवन व्यतीत करना संभव ही नहीं है ।
कलियुग में स्वभावदोष निर्मूलन प्रक्रिया अपनाए बिना आनंदमय जीवन व्यतीत करना संभव ही नहीं है ।
मनुष्य जीवन के प्रत्येक चरणपर बाधाएं आती हैं । इनमें से अनेक बाधाएं हमारे स्वभावदोषों के कारण भी आती हैं । अतः हमने हमारे दोष दूर किए, तो इन समस्याओं का शीघ्र समाधान होगा ।
सनातन संस्था की ओर से अभ्युदयनगर के एस्.एस्.एम्. शिवाजी विद्यालय में ७ दिसंबर को दोपहर ४.३० से सायंकाल ७ बजे की अवधि में साधना एवं स्वभावदोष निर्मूलन प्रक्रिया शिविर लिया गया ।
सनातन संस्था की ओर से भांडुप (पूर्व) के अवी क्लासेस एवं मुलुंड के रिचमंड इंटरनैशनल प्रीस्कूल में १ दिसंबर को साधना एवं स्वभावदोष निर्मूलन प्रक्रिया शिविर लिया गया ।
केवल अध्यात्मशास्त्र ही हमें आनंद की अनुभूति दे सकता है । उसके लिए सभी को साधना करना आवश्यक है । – ऐसें सनातन संस्था के सद्गुरु नंदकुमार जाधवजी ने यावल (जनपद जळगांव, महाराष्ट्र) में मार्गदर्शन में बताया ।
बेलगांव में बाढपीडितों के लिए रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया । इस शिविर में सनातन संस्था की ओर से बाढपीडितों को निःशुल्क डेंग्यु और चिकुनगुनिया प्रतिबंधक होमियोपैथिक औषधियां दी गईं ।
खरची के श्री हनुमान मंदिर में सनातन संस्था की ओर से आयोजित ‘आनंदित जीवन हेतु अध्यात्म’ विषय के प्रवचन में सनातन संस्था के सद्गुरु नंदकुमार जाधवजी ने मार्गदर्शन किया ।
बेलगांव (कर्नाटक) के पुराने पी.बी. मार्गपर स्थित श्री रेणुका मंदिर में सनातन संस्था की ओर से बाढ-पीडितों के लिए निःशुल्क चिकित्सकीय जांच की गई ।
११ अगस्त को हातकणंगले तहसील के चावरे गांव में सनातन संस्था की आधुनिक वैद्या (श्रीमती) शरदिनी कोरे एवं आधुनिक वैद्या (श्रीमती) शिल्पा कोठावळे ने अन्नदान की सेवा की ।
बेळगांव (कर्नाटक) में सनातन संस्था की ओर से डेंग्यु, चिकुनगुनिया और मलेरिया इन रोगोंपर प्रतिबंधक होमियोपैथिक औषधियों का वितरण किया गया ।