धर्म की रक्षा करना भी धर्माचरण ही है ! – श्री. चेतन राजहंस, राष्ट्रीय प्रवक्ता, सनातन संस्था
‘सुख का मूल धर्म के आचरण में है तथा धर्म का आचरण करने के साथ उसकी रक्षा करने के प्रयास करना भी धर्माचरण ही है । धर्म यह कहता हैै कि, मनुष्यजन्म की सार्थकता ईश्वरप्राप्ती में है; इसलिए हमें ईश्वरप्राप्ती के लिए प्रतिदिन साधना करनी चाहिए ।’