पश्चिम महाराष्ट्र में स्थान-स्थान पर सनातन प्रभात के वाचकों का मेलावा संपन्न !
परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी को भविष्य का कालावधी संस्कारहीन तथा भीषण होगा, इस बात का भान था; इसलिए उन्होंने सनातन प्रभात के माध्यम से वाचक तथा हितचिंतकों पर संस्कार करना आरंभ किया ।