दिशाहीन बुद्धिप्रमाणवादी एवं आधुनिकतावादी !

‘जिस प्रकार दृष्टिहीन की ‘मेरे पीछे चलो’ यह बात माननेवाले उसी के पीछे गड्ढे में गिरते हैं, उसी प्रकार बुद्धिप्रमाणवादियों एवं आधुनिकतावादियों के साथ है । वे दिशाहीनता के कारण स्वयं गड्ढे में गिरते हैं और उनके साथ-साथ उनके पीछे चलनेवाले भी गिरते हैं ।’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

बच्चों को साधना न सिखाने का परिणाम !

‘बुढापे में बच्चे ध्यान नहीं देते’, ऐसा कहनेवाले वृद्धजनों, आपने बच्चों पर साधना के संस्कार नहीं किए, इसका यह फल है । इसके लिए बच्चों के साथ आप भी उत्तरदायी हैं ! – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

कृतघ्नता की उच्चतम सीमा !

‘हम मां का दूध पीते हैं, उसी प्रकार गाय का दूध पीते हैं; इसलिए गाय को गौ माता कहते हैं । ऐसे में गाय की ही हत्या करना, मां की हत्या करने के समान ही है । यह कृतघ्नता की उच्चतम सीमा है !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

प्रशासन एवं नेताओं के लिए लज्जाजनक !

‘चूक होने पर सामान्य व्यक्ति भी क्षमा मांगता है; परंतु असंख्य चूकें करनेवाले पुलिस, प्रशासन के व्यक्ति तथा नेता क्या कभी एक बार भी क्षमा मांगते हैं ?’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

व्यवहार एवं अध्यात्म में भेद !

‘व्यवहार में पैसे मिलते हैं, तो व्यक्ति अपने पास रखता है; परंतु अध्यात्म में ईश्वर का प्रेम मिलता है, तो उसे संत सभी में बांटते हैं !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

जनता नशे की बलि न चढे, इस हेतु मूलगामी उपाय !

‘स्वतंत्रता के बाद से अभी तक की सरकारों ने राष्ट्र एवं धर्म भक्ति में रुचि निर्माण की होती, तो कोई भी शराब एवं सिगरेट के नशे की बलि न चढता !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

*कृतघ्न युवक-युवतियां !

‘जिन माता पिता ने जन्म दिया और छोटे से बडा किया, उनके बुढापे में अनेक कृतघ्न युवक- युवतियां उनका ध्यान नहीं रखते । माता-पिता का ध्यान न रखनेवाले क्या कभी भगवान के प्रिय होंगे ?’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

निरर्थक बुद्धिप्रमाणवादी !

‘भारत के हिन्दुओं को ही नहीं, पूरे संसार की मानवजाति को हिन्दू धर्म का आधार प्रतीत होता है । इसलिए पूरे संसार के जिज्ञासु अध्यात्म सीखने के लिए भारत आते हैं । बुद्धिप्रमाणवादी, धर्म विरोधी एवं साम्यवादी, इनका तत्वज्ञान सीखने के लिए कोई भारत नहीं आता; परंतु यह भी उनको समझ में नहीं आता !’ … Read more

सरकारी कर्मचारी एवं अधिकारी यह ध्यान में रखें !

‘काम न करना, भ्रष्टाचार करना इत्यादि के अभ्यस्त हो चुके अधिकांश पुलिसकर्मी, सरकारी कर्मचारी एवं अधिकारी इन्हें कोई भी निजी प्रतिष्ठान एक भी दिन नौकरी के लिए नहीं रखेगा !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉक्टर आठवले

आद्य शंकराचार्य के काल के और आज के काल के धर्म विरोधियों में भेद !

‘आदि शंकराचार्यजी ने भारत में सर्वत्र घूमकर हिन्दू धर्म के विरोधियों के साथ चर्चा की । उनसे जीतकर हिन्दू धर्म की पुनर्स्थापना की । उस काल के विरोधी चर्चा करते थे । इसके विपरीत आज के काल के धर्म विरोधी चर्चा न कर केवल शारीरिक और बौद्धिक गुंडागर्दी करते हैं !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. … Read more